नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम चालू हो चुका है। इसके निर्माण कार्य को लेकर तमाम तरह की जानकारी सामने आ रही है। अब पता चला है कि मंदिर निर्माण के दौरान बारह सौ खम्भें ऐसे होंगे जिनमें सरिया का प्रयोग नहीं होगा। फिलहाल आपको बता दें कि नींव खोदने से पहले शुरू हुई टेस्ट पाइलिंग में लोहे की सरिया का प्रयोग किया जा रहा है। लेकिन अब जानकारी मिली है कि 12 सौ खम्भों में सरिया का इस्तेमाल नहीं होगा।
जिन खम्भों में लोहे की सरिया का प्रयोग नहीं होगा, वो सारे खम्भें विशुद्ध कंक्रीट का ही स्तम्भ होगा। टेस्ट पाइलिंग में चार-चार भूमिगत स्तम्भों के तीन सेट तैयार किये जाएंगे। इनमें पहला और दूसरा सेट मूल मंदिर की परिधि से बाहर रहेगा। वहीं तीसरा सेट मंदिर के मध्य भाग में तैयार किया जाएगा। फिर तीनों सेट पर पहले अलग-अलग और पुन: तीनों सेट को मिलाकर उनकी भार क्षमता का परीक्षण होगा।
बता दें कि अयोध्या में मंदिर निर्माण का कार्य आगे बढ़ रहा है। शुक्रवार को परीक्षण के लिए भूमि के नीचे सौ फुट गहराई तक का पहला स्तम्भ तैयार हो चुका है। रविवार को अपराह्न तीन बजे दूसरे स्तम्भ निर्माण के लिए खुदाई शुरू हो गयी। पहला टेस्ट पाइलिंग कार्य शेषावतार मंदिर के मार्ग पर किया गया था, जबकि रविवार को दूसरे स्तम्भ के लिए उत्खनन का कार्य राम जन्मस्थान-सीता रसोई के सामने किया जा रहा है।
इस वजह से नहीं होगा सरिया का इस्तेमाल
मंदिर निर्माण से जुड़ी जानकारी देते हुए रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर की नींव के स्तम्भों में सरिया का प्रयोग नहीं किया जाएगा क्योंकि लोहे के सरिया की अधिकतम उम्र 100 साल होती है। जबकि मंदिर की आयु न्यूनतम एक हजार वर्ष रखने की दृष्टि से तकनीकी पहलुओं पर ध्यान दिया गया है और इसी हिसाब से बनाया जा रहा है।