अयोध्या। आज से भगवान रामलला अयोध्या के अपने भव्य और दिव्य मंदिर में विराज रहे हैं। 500 साल की प्रतीक्षा के बाद फिर अयोध्या के राम मंदिर में भगवान की स्थापना हुई है। इस दौरान अदालतों में राम मंदिर के लिए हिंदू पक्ष ने खूब लड़ाई लड़ी। वहीं, बाबरी मस्जिद के पक्ष में भी तमाम पक्षकार रहे। बाबरी मस्जिद के इन्हीं पक्षकारों में इकबाल अंसारी भी हैं। पहले उनके पिता हाशिम अंसारी बाबरी के लिए अदालतों में केस लड़ते रहे। उनके निधन के बाद इकबाल अंसारी ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बाबरी मस्जिद हासिल करने के लिए मुकदमा लड़ा, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला जब राम मंदिर के पक्ष में आया, तो इकबाल अंसारी ने हिंदू पक्ष को शुभकामनाएं दी थीं। अब भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर इकबाल अंसारी ने बयान दिया है।
#WATCH | Ayodhya, Uttar Pradesh | Former litigant in Ayodhya land dispute case, Iqbal Ansari says, “All deities of all religions reside in the city of Ayodhya. Pranpratishtha is going to take place today. This is the beginning of the Mandir…” pic.twitter.com/xdJsxFxOQV
— ANI (@ANI) January 22, 2024
बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने बयान जारी कर कहा कि अयोध्या में सभी धर्म के देवता विराजमान हैं। आज भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। आज लोगों का संघर्ष पूरा हो गया। इकबाल अंसारी ने कहा कि अब सभी लोग अयोध्या आएं और घूमें। उन्होंने लोगों से भगवान राम के बताए रास्ते पर चलने के लिए भी कहा। इकबाल अंसारी को भी भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए न्योता मिला है। इस पर वो बहुत खुश हैं। इकबाल अंसारी ने कहा कि इज्जत मिलना ऊपर वाले के हाथ है। उन्होंने सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वो अयोध्या आने वाले हर मेहमान का स्वागत करते हैं। इकबाल अंसारी ने बताया कि रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए कुछ देर बाद राम मंदिर परिसर जाएंगे।
भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले भी इकबाल अंसारी के तमाम बयान आए थे। उन्होंने भगवान राम का मंदिर बनने पर खुशी जाहिर की थी। बाबरी मस्जिद हासिल न होने का उनको कोई गम नहीं है। इकबाल अंसारी ने बाबरी का मुकदमा लड़ने के दौरान भी कभी गलतबयानी नहीं की। हिंदू पक्ष से उनके और पिता हाशिम अंसारी के अच्छे संबंध रहे। उनके पिता तो परमहंस रामचंद्र दास के अच्छे दोस्तों में से थे। दोनों को अयोध्या में लोग साथ आते-जाते और मिल बैठते हुए देखते रहे।