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Brij Bhushan Sharan: बृजभूषण शरण सिंह का चैलेंज बजरंग पुनिया ने स्वीकारा, कहा- हम नार्को टेस्ट कराने के लिए तैयार हैं, लेकिन…

Brij Bhushan Sharan: पीटी ऊषा को अपने इस बयान की वजह से उन्हें लोगों के आक्रोश का शिकार होना पड़ा था। उधर, 18 जनवरी को जब महिला पहलवान धरना प्रदर्शन करने जंतर-मंतर पर पहुंचे थे, तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि यह धरना पूरी तरह से गैर- राजनीतिक है।

नई दिल्ली। यौन शोषण के आरोपों में घिरे बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने पहलवानों को चुनौती दी थी कि वह नार्को टेस्ट, पॉलीग्राफ टेस्ट और लाइव डिटेक्टर टेस्ट कराने के लिए तैयार हैं, लेकिन उनकी शर्त है कि उनके साथ पहलवान विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक को भी अपने टेस्ट कराए होंगे। बता दें कि बृजभूषण ने यह चुनौती फेसबुक पर पोस्ट लिखकर दी थी। वहीं, अब खबर है कि पहलवान विनेश फोगाट ने बृजभूषण की यह चुनौती स्वीकार कर ली है, लेकिन उनकी एक शर्त है कि यह टेस्ट सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होना चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सकें। सनद रहे कि पिछले 30 दिनों से जंतर-मंतर पर बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन जारी है। लेकिन, अभी तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है। इससे पहले तो बृजभूषण के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज नहीं की गई थी, लेकिन बाद में जब महिला पहलवानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, तो कोर्ट ने बृजभूषण के खिलाफ दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया।

कोर्ट के निर्देश पर बृजभूषण के खिलाफ पॉक्सो सहित आईपीसी की अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया, लेकिन पहलवान मांग कर रहे हैं कि  बृजभूषण को गिरफ्तार किया जाए और उसे पद से बर्खास्त किया जाए , लेकिन अभी तक उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है। वहीं, अपने ऊपर लगे आरोपों को बृजभूषण ने निराधार बताया है। उन्होंने बीते दिनों एक निजी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि उनके ऊपर यौन शोषण के आरोप राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर लगाए गए हैं, जिनमें बिल्कुल भी सत्यता नहीं है। उनकी छवि को खराब करने के मकसद से यह आरोप लगाए गए हैं।

बता दें कि सबसे पहली बार गत 18 जनवरी को पहलवानों ने जंतर-मंतर पर धरना दिया था और बृजभूषण के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके बाद खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने मामले को संज्ञान में लेने के बाद तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था, लेकिन बिवंबना देखिए कि इतने माह बीत जाने के बावजूद भी समिति की ओर से कोई जांच नहीं की गई, जिस पर पहलवानों ने नाराजगी भी जाहिर की थी। इस समिति का अध्यक्ष पीटी ऊषा को बनाया गया था, जिन्होंने बाद महिला पहलवानों के धरना प्रदर्शन पर सवाल भी उठाया था और कहा था कि अगर उन्हें किसी बात से शिकायत है, तो उन्हें फौरन खेल बोर्ड के पास जाना चाहिए, ना की इस तरह से धरना प्रदर्शन करके देश की छवि खराब करनी चाहिए।

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पीटी ऊषा को अपने इस बयान की वजह से उन्हें लोगों के आक्रोश का शिकार होना पड़ा था। उधर, 18 जनवरी को जब महिला पहलवान धरना प्रदर्शन करने जंतर-मंतर पर पहुंचे थे, तो उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि यह धरना पूरी तरह से गैर- राजनीतिक है। इसमें किसी भी राजनीतिक दल को शामिल नहीं किया गया है। यहां तक की जब विरंदा करात धरनास्थल पर पहुंची थी, तो उन्हें पहलवानों उल्टे पांव लौटा दिया था, लेकिन इसके बाद पहलवान 22 अप्रैल को फिर से जंतर-मंतर पहुंचे, तो सभी राजनीतिक दल को खुलेतौर पर आमंत्रित किया, जिसके बाद कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी, दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल सहित अन्य नेता पहुंचे। उधर, बृजभूषण खुद को निर्दोष बता रहे हैं। अब ऐसे में आगामी दिनों में उसके खिलाफ क्या कुछ कार्रवाई की जाती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।