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WB Election: इस वजह से योगी आदित्यनाथ पश्चिम बंगाल में बन गए हैं भाजपा के सुपरस्टार प्रचारक

WB Election: जब योगी आदित्यनाथ ने बंगाल में अपने चुनावी प्रचार की शुरुआत मालदा से की तो केवल उनके अनुयायियों की एक बड़ी भीड़ अपने इस भगवा नेता की एक झलक पाने सहज ही रैली मैदान में पहुंच गई। इस मौके पर योगी ने दर्शकों को यह याद दिलाने में देर नहीं की कि मालदा एक ‘पवित्रभूमि’ है और वह ‘सनातन संस्कृति’ की भूमि थी।

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब अपनी पार्टी भाजपा के ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ के सिद्धांत की बात करते हैं तो उनके यह विचार सदियों पुराने ‘नाथ’ संप्रदाय से सीधे जुड़ जाते हैं। वह नाथ संप्रदाय जिसकी जड़ें असम के कामरूप में और बंगाल में हैं। यह बात इसलिए ज्यादा प्रभावी लगती है, क्योंकि 48 साल के योगी आदित्यनाथ राजनेता होने के अलावा नाथ संप्रदाय के पवित्र गोरखनाथ मठ के मठाधीश भी हैं। इसके कारण उनके लाखों अनुयायी बंगाल और असम के विभिन्न हिस्सों में फैले हुए हैं।

Bengal BJP Yogi

नाथ संप्रदाय या नाथ परंपरा के इतिहास की बात करें तो इसकी स्थापना योगी मत्स्येनद्रनाथ ने की थी। वह गोरखनाथ के सबसे महान योगियों और गुरु में से एक थे, उन्होंने कामरूप में योग को लाया। अयोध्या में स्थित लक्ष्मण किला मंदिर के स्वामी मिथिलेश नंदिनी शरण महाराज कहते हैं, “इतिहास में कई ऐसे संदर्भ मौजूद हैं जो गोरखपुर को बंगाल और कामरूप से सीधे जोड़ते हैं। बंगाल के कई हिस्सों समेत कोलकाता में भी गोरखनाथ का मंदिर है। लिहाजा एक तरह से योगीजी (आदित्यनाथ) सदियों पुरानी संस्कृति और हिंदू परंपरा की भावना का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो उन्हें बंगाल के लोगों और खासकर ग्रामीणों से सीधे जोड़ता है।”

yogi

बीते मंगलवार को जब योगी आदित्यनाथ ने बंगाल में अपने चुनावी प्रचार की शुरुआत मालदा से की तो केवल उनके अनुयायियों की एक बड़ी भीड़ अपने इस भगवा नेता की एक झलक पाने सहज ही रैली मैदान में पहुंच गई। इस मौके पर योगी ने दर्शकों को यह याद दिलाने में देर नहीं की कि मालदा एक ‘पवित्रभूमि’ है और वह ‘सनातन संस्कृति’ की भूमि थी। दिल्ली में भाजपा मुख्यालय के शीर्ष सूत्रों का कहना है कि योगी की इस मालदा रैली को जबरदस्त सफलता मिली है और अब वो पश्चिम बंगाल में 8 चरण में होने जा रहे विधानसभा चुनावों में एक दर्जन से ज्यादा रैलियों को संबोधित करेंगे। जाहिर तौर पर बंगाल के साथ योगी के इस अनूठे जुड़ाव ने इस फायरब्रांड मुख्यमंत्री को इस राज्य में सुपरस्टार प्रचारक बना दिया है।

वैसे भी योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाले गोरखनाथ मठ के अनुयायी पूरे देश में हैं। नाथ परंपरा पर ढेर सारा लेखन करने वाले बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सदानंद शाही पहले ही यह स्पष्ट कर देते हैं कि वह गोरखनाथ मठ के राजनीतिक प्रभाव के बारे में नहीं बोलेंगे। इसके बाद वह नाथ परंपरा को लेकर कहते हैं, “चूंकि संप्रदाय के संस्थापक मत्स्येन्द्रनाथ देश के इस हिस्से से निकले हैं इसलिए असम और बंगाल इसके पारंपरिक केंद्र रहे हैं। इतना ही नहीं नाथ संप्रदाय का भारतीय मध्ययुगीन संस्कृति पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि गोरखनाथ को बुद्ध और शंकराचार्य के बाद सबसे महान आध्यात्मिक गुरू के तौर पर देखा गया।”

CM Yogi Adityanath

गोरखनाथ मठ के बंगाल कनेक्शन पर स्वामी मिथलेश नंदनी शरण योगी गंभीरनाथ के एक शिष्य अक्षय कुमार बनर्जी के नाम का उल्लेख करते हैं। महंत दिग्विजयनाथ (1884-1969) के गुरु योगी गंभीरनाथ जी कई सालों तक बंगाल में रहे। स्वामी जी आईएएनएस को बताते हैं, “बंगाल में उनके लंबे प्रवास के दौरान गंभीरनाथजी के पूज्य शिष्य अक्षय कुमार बनर्जी गोरखपुर आए थे।” अक्षय बनर्जी के लेखन के अनुसार, 1915 तक बंगाल में योगी गंभीरनाथ के हजारों शिष्य बन चुके थे। बाद में वहां कई मठ स्थापित किए गए जिनके जरिए बंगाल, असम और ओडिशा में भी नाथ परंपरा के अनुयायियों को योग समेत अन्य शिक्षाएं दी गईं।