6 फरवरी को प्रस्तावित चक्का जाम का समर्थन नहीं करता भारतीय किसान संघ, जारी किया वक्तव्य

भारतीय किसान संघ (Indian Farmers Organization)ने ऐसा अंदेशा प्रकट किया था कि यह आंदोलन मंदसोर जैसा हिंसक रूप लेगा, संभवत 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन जिन लोगों ने हिसंक होकर नंगा नाच किया, इसमें भारतीय किसान संघ की आशंका सही सिद्ध हुई। इसलिए भारतीय किसान संघ को 6 फरवरी को चक्का जाम में कोई अनहोनी नहीं हो जाए, इसकी आशंका है।

Avatar Written by: February 4, 2021 5:31 pm
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नई दिल्ली। देशभर में किसान आंदोलन 75 से अधिक दिनों से जारी है। देश के किसान दिल्ली की सीमा को घेरकर बैठे हैं। केंद्र सरकार से इनकी मांग है कि MSP के लिए सशक्त कानून बनाने के साथ तीनों कृषि कानूनों को खारिज करने की मांग कर रहे हैं। इस सब के बीच किसान नेता राकेश टिकैत का भी बयान आ गया है कि 6 फरवरी को दिल्ली में कोई आंदोलन नहीं होगा। आंदोलनकारी दिल्ली की सड़कों पर नहीं आएंगे। लेकिन देशभर में 3 घंटे का चक्का जाम होगा। वहीं विदेशी कलाकारों द्वारा इस आंदोलन का समर्थन करने के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि मैं किसी ऐसे कलाकार को नहीं जानता। हालांकि इसके बाद राकेश टिकैत ने यह भी कह दिया कि अगर कोई समर्थन कर रहा है तो इसमें दिक्कत क्या है।

वहीं 6 फरवरी को होनेवाले प्रस्तावित चक्का जाम को लेकर भारतीय किसान संघ की तरफ से बयान जारी किया गया है। भारतीय किसान संघ ने इसको लेकर कहा है कि वह चक्का जाम का समर्थन नहीं करते हैं। भारतीय किसान संघ ने बयान जारी कर कहा कि करीब 70 दिनों से दिल्ली की सीमा पर जो यह आंदोलन चल रहा है पहले तो यह थोड़ा-थोड़ा राजनैतिक लगता था, अब वहां अधिकांश राजनैतिक दलों का और राजनैतिक नेताओं का जमावड़ा चल रहा है, इससे स्पष्ट हो गया है कि यह पूर्णतया राजनैतिक हथकंड़ा ही है।

पहले दिन से ही भारतीय किसान संघ ने ऐसा अंदेशा प्रकट किया था कि यह आंदोलन मंदसोर जैसा हिंसक रूप लेगा, संभवत 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन जिन लोगों ने हिसंक होकर नंगा नाच किया, इसमें भारतीय किसान संघ की आशंका सही सिद्ध हुई। इसलिए भारतीय किसान संघ को 6 फरवरी को चक्का जाम में कोई अनहोनी नहीं हो जाए, इसकी आशंका है।

26 जनवरी पर अपने राष्ट्रध्वज को अपमानित करना व सरेआम दिनदहाड़े इसको स्वीकृति देना, राष्ट्र विरोधी तत्व ही कर सकते हैं। ऐसा लगता है कि इस आंदोलन के अंदर पर्याप्त संख्या में अराष्ट्रीय तत्व सक्रिय हो चुके हैं। जो अपनी मजबूत पकड़ करने में भी सफल हो गये हैं। इसी कारण संसद में पारित कानूनों, माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देषों का भी सम्मान नहीं करके लोकतंत्र विरोधी कार्य किसानों के नाम पर करवा रहे हैं।

आंदोलन के शुरुआत में ही कनाड़ा के राजनैतिक नेतृत्व का वक्तव्य, ब्रिटिश नेताओं के वक्तव्य और हाल ही में आये कुछ तथाकथित विदेशी कलाकारों के वक्तव्यों ने यह प्रमाणित कर दिया है कि इस आंदोलन के सूत्र विदेशों से संचालित है और भारत विरोधी ताकतों के द्वारा देश में अराजकता पैदा करने का खेल खेला जा रहा है।

farmer protest

इसलिए भारतीय किसान संघ, देश का सबसे बड़ा किसान संगठन, राष्ट्रवादी एवं गैर राजनैतिक होने के कारण एवं हिंसक, चक्का जाम और भूख हड़ताल जैसे कार्यों का नीतिगत समर्थन नहीं करता है। यह संगठन राष्ट्रहित में ही किसान हित को देखकर चलता है। अतः 6 फरवरी के चक्का जाम का हम समर्थन नहीं करते हैं। देश के आमजन विशेषकर किसान बंधुओं से आग्रह है कि वे 6 फरवरी के दिन संयम से काम लें और शांति स्थापना में ही सहयोगी बनें। इसके साथ ही सभी किसान नेताओं से भी आाशा की जाती है कि माननीय प्रधानमंत्री द्वारा घोषणा की गई है कि सरकार डेढ़ से दो वर्षों के लिए कानूनों को स्थगित करने के अपने प्रस्ताव पर अभी भी यथावत है, उसे स्वीकार करते हुए वार्ता हेतु सक्षम समिति गठन एवं वर्षों से लंबित भारतीय किसान की नीतिगत समस्याओं पर समुचित निर्णय करवाने की ओर अग्रसर हों। सधन्यवाद।