रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के सीएम भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) के एक फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। उनकी सरकार ने एक बिल तैयार किया है और इस बिल के विधानसभा में पास होने के बाद दुर्ग का प्राइवेट चंदूलाल चंद्राकर मेमोरियल मेडिकल कॉलेज सरकार का हो जाएगा। बघेल पर सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि उनकी बेटी दिव्या बघेल के चचिया ससुर यानी भूपेश बघेल के समधी मंगल प्रसाद चंद्राकर इस मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर हैं। सबसे पहले जानते हैं कि इस प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के सरकार के हाथ में जाने से इसे चलाने वाले मंगल प्रसाद चंद्राकर और उनके करीबियों का फायदा किस तरह होगा। 1997 में बिना रजिस्टर्ड कंपनी बनाकर मेडिकल कॉलेज तैयार किया गया। साल 2019-20 में मेडिकल कॉलेज का टर्नओवर करीब 50 करोड़ था। जबकि, नुकसान करीब 10 करोड़ का रहा था। इसके अलावा 31 मार्च 2020 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष में कंपनी पर 125.26 करोड़ का कर्ज था। इसमें से 43 फीसदी यानी 53.81 करोड़ का लोन अनसिक्योर्ड था। इसके अलावा जब सरकार मेडिकल कॉलेज को अपने हाथ लेगी, तो उसके डायरेक्टर्स को पैसा भी देगी। यानी लोन भी सरकार चुकाए और अलग से पैसा भी मिल जाए।
बघेल सरकार अगर इस मेडिकल कॉलेज को सरकारी बना देती है, तो मंगल प्रसाद चंद्राकर या किसी और डायरेक्टर को लोन चुकाना नहीं होगा। यह लोन सरकार ही चुकाएगी। यही वह फायदा है, जिसे लेकर भूपेश बघेल सवालों के घेरे में हैं। मेडिकल कॉलेज को सरकारी बनाने का जो बिल लाया जा रहा है, उसमें लिखा भी है कि वित्तीय दिक्कतों की वजह से सरकार इसे अपने कब्जे में ले रही है। क्योंकि जनहित में तुरंत ऐसा करना उचित है।
भूपेश बघेल ने इसी साल फरवरी में ही इस निजी मेडिकल कॉलेज को सरकार की जिम्मेदारी में लेने का फैसला कर दिया था। उन्होंने 2 फरवरी को ट्वीट कर इसकी जानकारी भी दी थी। राज्य की नौकरशाही ने सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज भी उठाई थी कि उस पर बहुत ज्यादा कर्ज है और मेडिकल कॉलेज पर गड़बड़ी करने का आरोप भी मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने 2018 में लगाया है। इस मेडिकल कॉलेज को 2017 से ही मान्यता भी नहीं है।
अब आम के आम, गुठलियों के दाम के तहत मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर्स को फायदा पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। जिनमें भूपेश बघेल की बेटी के चचिया ससुर भी हैं। जो कंपनी इस मेडिकल कॉलेज को चलाती है, उनमें 59 शेयर होल्डर हैं।