श्रीनगर। संविधान से अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में माहौल लगातार अच्छा होता जा रहा है। अब आतंकियों का डर भी काफी कम हो गया है। लोग आपस में मिल-जुलकर रहते हैं। एक दूसरे के सुख-दुख में जम्मू-कश्मीर के लोग सहभागी बनते हैं। 370 खत्म होने के बाद जम्मू-कश्मीर में अब पथराव की घटनाएं भी बंद हो गई हैं। इसके अलावा अल्पसंख्यक शिया समुदाय को भी आतंकियों के हमलों का खतरा नहीं रहा है। इसी का नतीजा है कि इस बार जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर मुहर्रम पर शिया समुदाय जुलूस निकाल सका। ये बताता है कि कश्मीर घाटी अब खुशहाली के दौर में लौट रही है।
#WATCH | Srinagar, J&K | Muharram procession taken out through its historic route in the city. The procession was allowed from 6 am to 8 am today, by the Administration. pic.twitter.com/fqbq6uOGwP
— ANI (@ANI) July 27, 2023
जम्मू-कश्मीर में अब तक मुहर्रम पर शिया समुदाय के जुलूसों पर प्रतिबंध था। 30 साल बाद आज पहली बार श्रीनगर में शिया समुदाय ने मुहर्रम पर जुलूस निकाला। मुहर्रम के जुलूस को निकालने की मंजूरी सुबह 6 से 8 बजे तक के लिए मिली थी। इस दौरान शिया समुदाय के लोगों ने हजरत हुसैन की याद में जुलूस निकालकर मुहर्रम पर मातमपुर्सी की। काले वस्त्र पहने शिया समुदाय के मुहर्रम जुलूस में समाज के अन्य वर्गों के लोग भी शामिल हुए और उन्होंने भी हजरत हुसैन की करबला में दी गई शहादत को याद किया।
मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को संसद में प्रस्ताव लाकर अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिया था। जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस ने इसका विरोध किया था। पीडीपी की चीफ महबूबा मुफ्ती ने तो ये तक कहा था कि अगर 370 रद्द हुआ, तो घाटी में खून की नदियां बहेंगी और भारत का तिरंगा कोई नहीं उठाएगा, लेकिन खून की नदी भी नहीं बही और जम्मू-कश्मीर में अब तमाम जगह तिरंगा लगा हुआ देखा जा सकता है। हालांकि, छिटपुट आतंकी वारदात अब भी होते हैं, लेकिन पहले जैसा दहशत का माहौल अब कश्मीर घाटी में नहीं है। नतीजे में पहले से ज्यादा पर्यटक यहां आ रहे हैं। साथ ही देश के किसी भी हिस्से का नागरिक यहां जमीन खरीद सकता है। अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को आरक्षण का लाभ भी मिलने लगा है। इसके अलावा केंद्र शासित प्रदेश में अब कई योजनाएं भी लागू की गई हैं। ये योजनाएं 370 के कारण यहां लागू नहीं हो पा रही थीं।