
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पिछली बार के मुकाबले ज्यादा सीटें तो ले आए, लेकिन बीजेपी के दांव पर दांव उन्हें परेशानी के भंवर में डाल रहे हैं। बीजेपी ने ताजा दांव अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव के जरिए चलने की तैयारी की है। इस दांव से विधानसभा में अखिलेश के सपा गठबंधन को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही उनके कुनबे में एक बार फिर बीजेपी सेंध लगाने में कामयाब हो जाएगी। इससे पहले बीजेपी ने ऐन चुनाव से पहले अखिलेश के छोटे भाई प्रतीक की पत्नी अपर्णा यादव को शामिल कराया था।
बीजेपी का अखिलेश के खिलाफ ताजा दांव उनके चाचा शिवपाल को विधानसभा का उपाध्यक्ष बनवाने का है। सूत्रों के मुताबिक शिवपाल के जरिए अब अखिलेश की सियासी पतंग को काटने की तैयारी है। बता दें कि शिवपाल यादव की हाल के दिनों में बीजेपी से करीबी बढ़ती नजर आई है। पहले खबर आई थी कि वो दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मिले। इसके बाद लखनऊ आकर वो सपा गठबंधन के चुने विधायकों की बैठक में न जाकर सीएम योगी से मिले। फिर शिवपाल ने ट्विटर पर योगी और मोदी को फॉलो कर लिया। शिवपाल ने महाभारत और रामायण के प्रसंगों के जरिए भी अखिलेश पर निशाना साधा था।
दरअसल, शिवपाल यादव और अखिलेश भले ही यूपी विधानसभा चुनाव में साथ आए, लेकिन सपा अध्यक्ष ने चाचा को ज्यादा भाव नहीं दिया। शिवपाल को ही अखिलेश ने टिकट दिया। जबकि, वो 100 टिकट मांग रहे थे। फिर चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश खुद गाड़ी की सीट पर बैठ गए और चाचा शिवपाल को उन्होंने खड़ा रख दिया। इन सबसे शिवपाल का नाराज होना लाजिमी है। शिवपाल सिंह 6 बार के विधायक हैं। अब उन्हें बीजेपी ठीक वैसे ही विधानसभा उपाध्यक्ष बना सकती है, जैसे उसने पहले सपा के विधायक रहे नितिन अग्रवाल को सेंधमारी कर बनाया था। नितिन इस बार बीजेपी के टिकट पर चुने गए हैं।