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UP: मायावती का बड़ा ऐलान, बाहुबली मुख्तार अंसारी का काटा टिकट, चुनाव में माफियाओं से किया तौबा

UP Election 2022: मायावती ने लिखा, ”बीएसपी का अगामी यूपी विधानसभा आमचुनाव में प्रयास होगा कि किसी भी बाहुबली व माफिया आदि को पार्टी से चुनाव न लड़ाया जाए। इसके मद्देनजर ही आजमगढ़ मण्डल की मऊ विधानसभा सीट से अब मुख्तार अंसारी का नहीं बल्कि यूपी के बीएसपी स्टेट अध्यक्ष श्री भीम राजभर के नाम को फाइनल किया गया है।”

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इस बीच राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने शुक्रवार को बड़ा फैसला लिया है। यूपी चुनाव में ब्राह्मण को लुभाने में जुटी मायावती ने बाहुबलियों और माफियों से तौबा कर लिया है। इस कड़ी में मायावती ने अब मऊ से पार्टी के विधायक मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) को लेकर बड़ा ऐलान किया है। दरअसल बसपा सुप्रीमो ने बाहुबली मुख्तार अंसारी का टिकट काट दिया है। साथ ही उन्होंने चुनाव में किसी भी बाहुबली या माफिया को टिकट नहीं देना का फैसला लिया हैं। इसकी जानकारी खुद मायावती ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए दी। मायावती ने आज एक के बाद एक कई ट्वीट्स किए।

मायावती ने लिखा, ”बीएसपी का अगामी यूपी विधानसभा आमचुनाव में प्रयास होगा कि किसी भी बाहुबली व माफिया आदि को पार्टी से चुनाव न लड़ाया जाए। इसके मद्देनजर ही आजमगढ़ मण्डल की मऊ विधानसभा सीट से अब मुख्तार अंसारी का नहीं बल्कि यूपी के बीएसपी स्टेट अध्यक्ष श्री भीम राजभर के नाम को फाइनल किया गया है।” दूसरे ट्वीट में बसपा सुप्रीमो लिखा, ”जनता की कसौटी व उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के प्रयासों के तहत ही लिए गए इस निर्णय के फलस्वरूप पार्टी प्रभारियों से अपील है कि वे पार्टी उम्मीदवारों का चयन करते समय इस बात का खास ध्यान रखें ताकि सरकार बनने पर ऐसे तत्वों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई करने में कोई भी दिक्कत न हो।”

Mayawati Tweet

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, ”बीएसपी का संकल्प ’कानून द्वारा कानून का राज’ के साथ ही यूपी की तस्वीर को भी अब बदल देने का है ताकि प्रदेश व देश ही नहीं बल्कि बच्चा-बच्चा कहे कि सरकार हो तो बहनजी की ’सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’ जैसी तथा बीएसपी जो कहती है वह करके भी दिखाती है यही पार्टी की सही पहचान भी है।”

ज्ञात हो कि बसपा सुप्रीमो मायावती पिछले दिनों मुख्तार के भाई सिबगतुल्लाह के बसपा छोड़ सपा में जाने और जेल में बंद मुख्तार अंसारी की आपराधिक छवि को देखते हुए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने के संकेत दिए थे। मुख्तार पिछला विधानसभा चुनाव मऊ सीट से बसपा के टिकट पर जीते थे। अंसारी बंधु अपनी पार्टी कौमी एकता दल का भी विलय कर चुके हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव के लिए नया दल बनाने में कठिनाई हो सकती है। वैसे ये कोई पहली बार नहीं है जब मुख्तार अंसारी को बसपा से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। इससे पहले वह 1996 में बसपा के विधायक बने थे और मायावती ने कुछ ही दिन बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया था।

mukhtar ansari
बसपा विधायक मुख्तार अंसारी के बड़े भाई सिबगतुल्लाह अंसारी के साथ उनके बेटे मन्नू अंसारी ने सपा का दामन थाम चुके है। अंसारी परिवार पहले भी सपा का हिस्सा रह चुका है। सिबगतुल्लाह अंसारी को 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की अलका राय से हार का सामना करना पड़ा था।

पिछले दिनों माफिया विरोधी मंच ने विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित से मुख्तार की सदस्यता रद्द किए जाने की मांग की थी। मंच के अध्यक्ष सुधीर सिंह की ओर से विधानसभा अध्यक्ष को दिए पत्र में कहा था कि मुख्तार अंसारी वर्ष 2005 से विभिन्न संगीन आरोपों में जेल में निरुद्ध है। ऐसे में मुख्तार द्वारा विधानसभा से वेतन व भत्ता लिया जाना असंवैधानिक है। मुख्तार ने 16 वर्षों में विधानसभा सदस्य के रूप में वेतन व अन्य भत्तों का 6.24 करोड़ रुपये का भुगतान लिया है, जिसकी ब्याज समेत वसूली की जानी चाहिए।

बता दें कि विधायक मुख्तार अंसारी को जबरन वसूली के मामले में जनवरी 2019 से पंजाब की रूपनगर जेल में रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उसे बांदा जेल वापस लाया गया था। मुख्तार के खिलाफ उत्तर प्रदेश में दर्ज कई आपराधिक मामलों की सुनवाई चल रही है। वैसे तो वह अक्टूबर 2005 से जेल में है, लेकिन अदालत की अनुमति से वह विधायी कार्यवाही में भाग लेता रहा। इतना ही नहीं अंसारी ने जेल में रहते हुए 2007, 2012 और 2017 में चुनाव भी जीते हैं।