
पटना। जमीन के बदले नौकरी के मामले में लालू यादव के परिवार पर एक बार फिर तलवार लटकी दिख रही है। आमतौर पर आईआरसीटीसी घोटाला नाम से ये मामला पहचाना जाता है। इस कथित घोटाले के संबंध में सीबीआई एक बार फिर सक्रिय हुई है। सीबीआई ने सोमवार को लालू की पत्नी राबड़ी देवी से 5 घंटे तक पूछताछ की थी। अब लालू यादव का नंबर है। सीबीआई ने लालू को समन दिया है और जल्दी ही उनसे पूछताछ की जा सकती है। इस मामले में लालू और राबड़ी के अलावा उनकी बेटी मीसा भारती और रेलवे के तत्कालीन कुछ अफसर आरोपी हैं।
राबड़ी देवी से सीबीआई की पूछताछ के बाद उनके बेटे और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा था कि ये तो होना ही है। आखिर हम बीजेपी का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि 2024 तक ये सिलसिला चलता रहेगा। तेजस्वी ने इससे पहले तंज कसते हुए कहा था कि अगर सीबीआई वाले चाहें, तो उनको वो अपने घर में ही रहने की व्यवस्था करा सकते हैं। जमीन लेकर नौकरी देने के आरोप में दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने 15 मार्च को लालू, राबड़ी और मीसा समेत इस मामले के सभी आरोपियों को पेश होने के लिए समन जारी किया था। सीबीआई के विशेष कोर्ट ने इस मामले में जांच एजेंसी की तरफ से दाखिल चार्जशीट का संज्ञान लेते हुए सभी आरोपियों को समन जारी किया था। आरोप ये है कि जब लालू यादव रेल मंत्री थे, तब लोगों से उनकी जमीन अपने नाम लिखवाकर नौकरी दी गई।

लालू यादव साल 2004 से 2009 तक यूपीए की पहली सरकार के दौरान रेल मंत्री थे। नौकरी देने के बदले जमीन लेने का मामला उसी दौर का है। आरोप है कि लालू ने राबड़ी देवी और मीसा भारती के नाम पर भी जमीन ली। सीबीआई के मुताबिक ये सारा खेल रेलवे के कुछ अफसरों के साथ साठगांठ कर खेला गया। सीबीआई ने चार्जशीट में बताया है कि लालू परिवार के नाम पर पटना में ही 1 लाख वर्ग फुट जमीन इस तरह ली गई। सीबीआई की चार्जशीट कहती है कि लालू यादव ने रेलवे के विभिन्न जोन में ग्रुप डी के पदों पर जमीन लेकर नौकरी दी। पटना में रहने वाले कई लोगों ने खुद या परिवार के नाम की जमीन एक निजी कंपनी के पक्ष में अपनी जमीन दी। ये कंपनी लालू यादव और उनके परिवार की तरफ से नियंत्रित होती थी। रेलवे में ये सारी भर्तियां मुंबई, कोलकाता, जयपुर, जबलपुर और हाजीपुर में हुई। इसके लिए भर्ती का कोई विज्ञापन वगैरा जारी भी नहीं किया गया था।