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चारधाम परियोजनाः चीन सीमा तक पहुंचने में भारतीय सेना को होगी आसानी, 6 घंटे में पूरा होगा 12 घंटे का सफर

हाल के दिनों में चीन के साथ चल रहे गतिरोध ने इसकी भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। चीन सीमा पर जाने के लिए भारतीय सैनिक इसी मार्ग का इस्तेमाल करते हैं।

नई दिल्ली। कोरोना की वजह से इस बार अभी तक उत्तराखंड में तीर्थयात्रा पूरी तरह से शुरू नहीं हो सकी है। लेकिन ऋषिकेश से लेकर बद्रीनाथ के पास भारत के अंतिम गांव माणा तक 300 किमी लंबे मार्ग को चौड़ा करने के लिए पहाड़ों को काटने का काम इस समय जोरों पर है, ताकि इस मार्ग को हर मौसम में यात्रा के लायक बनाया जा सके। यह मार्ग सिर्फ चार धाम यात्रा की दृष्टि से ही अहम नहीं है। इस मार्ग का सामरिक महत्व भी है। हाल के दिनों में चीन के साथ चल रहे गतिरोध ने इसकी भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। चीन सीमा पर जाने के लिए भारतीय सैनिक इसी मार्ग का इस्तेमाल करते हैं।

Chardham Project all weather

हालांकि तीर्थयात्रा की इजाजत अभी उत्तराखंड के लोगों को ही मिली है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि अगले साल की यात्रा तक इसका ज्यादातर काम पूरा हो जाएगा। हालांकि, पर्यावरण विभाग की मंजूरी और हाईकोर्ट में याचिका की वजह से कई काम अटके भी पड़े हैं। इन बाधाओं के दूर होने के बाद ही चारधाम की यात्रा को आसान बनाया जा सकता है। हालांकि, जहां तक मार्ग पर काम पूरा हो रहा है, वहां स्थानीय लोग बड़ी राहत महसूस कर रहे हैं।

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ऋषिकेश और व्यासी के बीच नए पुलों व एलीवेटेड रोड को बनाने का काम भी तेजी से चल रहा है। ऋषिकेश से गंगोत्री-यमुनोत्री मार्ग पर धरासू तक सड़क बनाने का काम अंतिम चरण में है। हालांकि धरासू से आगे दोनों ही तीर्थों के लिए मार्ग चौड़ा करने में वन व पर्यावरण विभाग की मंजूरी मिलना बाकी है। इसके बावजूद धरासू तक सड़क चौड़ी होने से चंबा, टिहरी और उत्तरकाशी तक यातायात आसान हो जाएगा।

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उत्तराखंड में बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को जाने वाले सभी मार्गों को चार धाम यात्रा परियोजना के तहत चौड़ा व सुगम बनाया जा रहा है। 11 हजार 700 करोड़ की इस परियोजना के तहत कुल 889 किमी सड़क को चौड़ा किया जा रहा है। ऋषिकेश से बद्रीनाथ तक करीब 300 किमी की यात्रा में अभी 10 से 12 घंटे का समय लगता है।

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इस परियोजना के पूरा होने के बाद यह समय आधे से भी कम हो जाएगा। इसके लिए मौजूदा सड़कों की चौड़ाई को दोगुना किया जा रहा है। यानी अभी तक जिस रास्ते पर दो वाहन भी बड़ी मुश्किल से एक दूसरे को क्रॉस कर पाते थे, अब वहां से चार वाहन एक साथ गुजर सकेंगे। इससे दुर्घटनाओं की संख्या में भी बड़ी कमी आएगी।

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ऋषिकेश से गंगोत्री मार्ग पर चंबा में बनी 440 मीटर लंबी सुरंग का मई में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी उद्घाटन भी कर चुके हैं। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने रिकॉर्ड समय में इस सुरंग को बनाया है। इस मार्ग के बड़े हिस्से पर पहाड़ों को काटने का काम लगभग पूरा हो चुका है। अब सड़कों पर तेजी से कारपेटिंग हो रही है।

चारधाम परियोजना एक नजर में

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ऋषिकेश से बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री राजमार्ग को सात हिस्सों में बनाया जा रहा है। बद्रीनाथ मार्ग को ऋषिकेश से रुद्रप्रयाग और रुद्रप्रयाग से माणा तक दो हिस्सों में बांटा गया है। जबकि, केदारनाथ के लिए रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड, गंगोत्री के लिए ऋषिकेश से धरासू व धरासू से गंगोत्री और यमुनोत्री मार्गे को धरासू से यमुनोत्री में विभक्त किया गया है। इस मार्ग पर दो सुरंगें व तीन एलीवेटेड रोड भी बन रही हैं। इस सड़क को सीमा सड़क संगठन, लोक निर्माण विभाग, पीआईयू मोर्थ, एनआईडीसीएल बना रहे हैं।