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अब आई ड्रैगन की अकल ठिकाने, पैंगोंग लेक से भी चीनी सेना का जमावड़ा कम होना शुरू

भारतीय सेना के सूत्रों की तरफ से जानकारी दी गई है कि चीनी सेना ने सोमवार को ही वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास से अपने अस्थाई निर्माण हटाने शुरू कर दिए थे।

नई दिल्ली। भारत के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई वार्ता का असर दिखने लगा है। भारतीय सेना के सूत्रों की तरफ से जानकारी दी गई है कि चीनी सेना ने सोमवार को ही वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास से अपने अस्थाई निर्माण हटाने शुरू कर दिए थे। सेनाएं वापस लेने का काम हॉट स्प्रिंग और गोगरा इलाकों में शुरू हो चुका है और अगले कुछ दिनों के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। गौरतलब है कि सेनाएं पीछे लेने को लेकर दोनों पक्षों में सहमति बन चुकी है। भारत और चीन दोनों की ही सेना अपनी वास्तविक पोजीशन से 1 से 1.5 किलोमीट पीछे वापस की जाएंगी।

India China army

सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक फिंगर 4 पर जमा चीनी सेना की संख्या थोड़ी घटाई गई है। कुछ टेंट भी हटाए गए हैं लेकिन PLA पूरी तरह से पीछे नहीं गई है। जानकारी के मुताबिक पहले स्टेप में चीन फिंगर 4 से फिंगर 5 तक हटेगा। इसके बाद 3 से 4 हफ्ते तक मॉनिटरिंग और वैरिफिकेशन चलेगा। गौरतलब है कि चीन सभी जगह से डिसएंगेजमेंट को तो तैयार लेकिन डीएस्किलेशन को फिलहाल राजी नहीं है।

India china army

गौरतलब है कि भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच तीन राउंड की बैठक के बाद भी कोई सहमति नहीं बन पा रही थी। फिर भारत की तरफ से विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किए गए एनएसए अजित डोभाल और चीनी विेदश मंत्री वांग यी की बातचती में आपसी सहमति बनी।

दोनों विशेष प्रतिनिधियों के बीच सीमा विवाद पर खुलकर गहराई के साथ बातचीत हुई। बातचीत में इस बात पर सहमति बनी कि भारत चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों ही पक्ष अपनी सेनाएं पीछे लेंगे। सीमा पर शांति बनाए रखने को सबसे बड़ी प्राथमिकता माना गया। सीमा से सेनाएं पीछे करने का काम चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान किया जाएगा और भविष्य में भी इस तरह की स्थितियां उत्पन्न न होने दी जाएं जिससे शांति को खतरा हो। साथ ही यह भी सहमति बनी कि दोनों देशों में सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत जारी रहनी चाहिए।

Indian China LAC

सबसे विशेष बात ये रही कि अब दोनों ही विशेष प्रतिनिधि सीमा के मसले पर एक-दूसरे से भविष्य में बातचीत जारी रखेंगे। ये बातचीत अन्य सभी स्तर की बातचीत के साथ चलती रहेगी। यानी सैन्य अधिकारी स्तर और राजनयिक स्तर की बातचीत के अलावा भी अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री एक-दूसरे से संपर्क में बने रहेंगे। ऐसा फैसला इसलिए किया गया है कि भविष्य में भी सीमा पर किसी भी तरह के बड़े विवाद की स्थिति को टाला जा सके। ये दोनों निगाह बनाकर रखेंगे कि सीमा पर दोनों पक्षों की तरफ से द्विपक्षीय प्रोटोकॉल का पालन किया जाए।