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CJI D.Y. Chandrachud : लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई ने जजों और वकीलों को दी सलाह, जानिए जस्टिस चंद्रचूड़ ने क्या कहा…

CJI D.Y. Chandrachud : सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने देश के सभी बार काउंसिल और बार एसोसिएशन में महिलाओं की कमी पर बात करते हुए कहा कि पिछले कुछ सालों में न्यायालयों में महिला वकीलों की संख्या में बढ़ोतरी जरूर हुई है, लेकिन बार काउंसिल और बार एसोसिएशन के निर्वाचित सदस्यों में महिलाओं की कमी आज भी है।

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने जजों और वकीलों को संविधान के प्रति वफादार रहने की सलाह दी है। नागपुर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के शताब्दी समारोह में जस्टिस चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका को लेकर भी महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि न्यापालिका ने बार-बार अपनी स्वतंत्रता और गैर-पक्षपातपूर्णता को साबित किया है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता और बार की स्वतंत्रता के बीच गहरा संबंध है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों और सदस्यों को अदालत के फैसलों पर प्रतिक्रिया करते समय सोच विचार कर बोलना चाहिए, आम लोगों की तरह टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक बार फैसला सुनाए जाने के बाद यह सार्वजनिक संपत्ति हो जाता है। हम तारीफ और आलोचना दोनों को स्वीकार करते हैं। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने देश के सभी बार काउंसिल और बार एसोसिएशन में महिलाओं की कमी पर बात करते हुए कहा कि पिछले कुछ सालों में न्यायालयों में महिला वकीलों की संख्या में बढ़ोतरी जरूर हुई है, लेकिन बार काउंसिल और बार एसोसिएशन के निर्वाचित सदस्यों में महिलाओं की कमी आज भी है।

सीजेआई ने कहा कि महिलाओं के बार एसोसिएशन के चुनाव लड़ने में कोई औपचारिक बाधाएं नहीं हैं लेकिन फिर भी महिला वकील बार एसोसिएशन या बार काउंसिल के चुनाव में क्यों नहीं उतरतीं, ये एक बड़ा सवाल है। उन्होंने सलाह देते हुए कहा कि बार एसोसिएशन या बार काउंसिल के चुनाव में महिलाओं के प्रति सहज माहौल बनाना होगा। सीजेआई ने महिलाओं की भागीदारी पर बात करते हुए कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया में एक भी महिला पदाधिकारी नहीं थी। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारी समिति में केवल एक महिला सदस्य थी। जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस दौरान बार और बेंच की ओर से जारी की गई साल 2021 की रिपोर्ट का भी जिक्र किया। इस रिपोर्ट में ये जानकारी दी गई है कि 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य बार काउंसिल में केवल 2.04 प्रतिशत महिलाएं ही निर्वाचित प्रतिनिधियों में शामिल हैं।