
जयपुर। राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है। राजस्थान में 23 नवंबर को वोट पड़ेंगे और 3 दिसंबर को राज्य की 200 विधानसभा सीटों के नतीजे आएंगे। अगर 2018 की बात करें, तो राजस्थान में कांग्रेस ने 100 सीटें जीती थीं और फिर अन्य विधायकों से सहयोग लेकर सत्ता पर काबिज हुई थी। राजस्थान में पिछले 30 साल से हर बार सरकार बदलती रही है। ऐसे में कांग्रेस के सामने चुनौती है कि वो इस परंपरा को तोड़कर दिखाए। हालांकि, अशोक गहलोत लगातार दावा कर रहे हैं कि फिर कांग्रेस राजस्थान में सरकार बनाएगी। गहलोत के परम विरोधी रहे सचिन पायलट भी यही दावा कर रहे हैं।
उधर, बीजेपी भी अशोक गहलोत को हर तरह से घेरने की कोशिश कर रही है। कई जगह दंगे और कन्हैयालाल की इस्लामी कट्टरपंथियों के हाथ गला काटकर हुई हत्या को पीएम नरेंद्र मोदी तक राजस्थान की जनसभाओं में लगातार उठाते रहे हैं। बीजेपी लगातार आरोप लगा रही है कि अशोक गहलोत की सरकार हिंदू विरोधी है। बीजेपी के इस संगीन आरोप की काट के तौर पर अशोक गहलोत बीते कुछ वक्त में कई धार्मिक स्थल जा चुके हैं। वो दिखा रहे हैं कि हिंदू विरोधी होने का जो ठप्पा बीजेपी लगा रही है, उसमें सच्चाई नहीं है। अब सबकी नजर इस पर है कि हिंदू विरोधी होने के इस ठप्पे को गहलोत वोटरों के मन से मिटा पाते हैं या नहीं।
अशोक गहलोत ने बीते दिनों राजस्थान में जातीय सर्वे कराने का आदेश दिया। इस पर अब कोई काम नहीं हो सकेगा। बीजेपी इसे चुनावी फंडा बता ही रही है। ऐसे में गहलोत को जनता को ये समझाना पड़ेगा कि अगर उनकी सरकार फिर नहीं बनी, तो जातीय सर्वे का काम रुक सकता है। उधर, लाल डायरी की चर्चा ने भी गहलोत के लिए मुश्किल खड़ी की है। विधानसभा में राजेंद्र गुढ़ा ने लाल डायरी लहराई थी। इस लाल डायरी के बारे में राजेंद्र गुढ़ा का कहना है कि गहलोत और उनके मंत्रियों के काले कारनामे इसमें दर्ज हैं। पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी इस लाल डायरी का जिक्र कर गहलोत पर निशाना साध चुके हैं। ऐसे में गहलोत को जनता को भरोसा दिलाना होगा कि उनके राज में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है और लाल डायरी के बारे में जो दावे किए जा रहे हैं, उनमें दम नहीं है।