नई दिल्ली। देश की जनता-जनार्दन को लुभाने के लिए उनसे वादे करने के मामले में हमारे यहां के राजनेताओं ने तो पीएचडी कर रखी है। चुनाव आता नहीं कि ये सियासी सूरमा चंद वोटों की खातिर वादों की झड़ी लगा देते हैं, लेकिन जब बात उनको मुकम्मल करने की आती है तो अपने ही किए वादों से किस तरह पल्ला झाड़ना है, उसका हुनर भी बखूबी रखते हैं ये। ऐसे ही कुछ हुनर रखने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भारी कीमत चुकानी पड़ गई। आइए, आपको पूरे माजरे से रूबरू कराते हैं। दरअसल, इस मसले को समझने के लिए आपको आज से तकरीबन एक साल पहले जाना होगा। देश में लॉकडाउन लगा था। गलियां वीरान हो चुकी थी। जुबां खामोश हो चुके थे। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या किया जाए।
हर दिन बढ़ते कोरोना के मामले वैसे ही सरकार की चिंता बढ़ाए जा रहे थे। ऐसे में सबसे ज्यादा अगर कोई बेहाल हुआ तो वो था देश का गरीब। जिसकी बानगी हमें उन दिनों मजदूरों के पलायन के रूप में दिखी थी। उन दिनों के हालातों की भयावहता का अंदाजा तो आप महज इसी से लगा सकते हैं कि हजारों किमी दूर पैदल चलने को ये मजदूर तैयार हो चुके थे, लेकिन इस बीच देश की राजधानी दिल्ली मे रहने वाले किरायदारों को भी खासा समस्याओं का सामना करना पड़ा था। पहले से ही लॉकडाउन में अपनी आजीविका के साधन गंवा चुके इन किरायदारों को इनके मकान मालिकों ने जीना बेहाल कर दिया था। कुछेक मकान मालिकों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश मकान मालिकों ने उन दिनों भी किरायदारों को किराया देने पर मजबूर किया था। वो भी ये जानने के बावजूद भी अभी इन्हें आर्थिक दुश्वारियों से गुजरना पड़ रहा है। खैर, इन किरायदारों को देखकर किसी का दिल पसीजा हो या नहीं, लेकिन दिल्ली सरकार का जरूर पसीज गया और फिर कर दिया ऐसा ऐलान जिसे सुनकर खुशी से झूम उठे दिल्ली के किरायदार।
दिल्ली सरकार ने अपने ऐलान में साफ कहा कि हम किरायदारों का किराया देंगे। केजरीवाल सरकार के इस ऐलान को सुनकर राजधानी के बेशुमार किरायदारों ने राहत की सांस ली, लेकिन अब जब यह मामला जनहित याचिका के सहारे दिल्ली हाईकोर्ट में दस्तक दे चुका है, तो दिल्ली सरकार के नुमाइंदे अपने द्वारा किए गए ऐसे किसी भी वादे से इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि हमने किरायदारों के लिए ऐसा कोई भी ऐलान नहीं किया है। हमने सिर्फ इतना कहा था कि हम किरायदारों को हर मुमकिन मदद मुहैया कराएंगे। दिल्ली सरकार के वकील मनीष वशिष्ठ के इस बयान को सुनकर दिल्ली हाईकोर्ट के जज एक पल के लिए सन्न हो गए। इस पर दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने कहा कि, तो आपका इरादा भुगतान करने का भी नहीं है।
यहां तक की आप 5 फीसद भुगतान भी नहीं करेंगे। तो इस पर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि कोई भी व्यक्ति उनके पास राहत मांगने नहीं आया है। हमने यह कहा था कि अगर कोई हमारे पास राहत मांगने आता है, तो राहत दी जाएगी। अब ऐसे में यह पूरा मामला क्या रूख अख्तियार करता है। यह तो आने वाल दिनों में दिल्ली हाईकोर्ट का रूख ही तय करेगा।