
नई दिल्ली। विपक्षी दलों ने पीएम नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए आपस में गठबंधन तो कर लिया है, लेकिन I.N.D.I.A नाम के इस गठबंधन में आए दिन नेताओं के अलग-अलग सुर सुनाई दे रहे हैं। यहां तक कि भोपाल में रैली का एलान कर विपक्षी गठबंधन की तरफ से इसे कैंसल भी कर दिया गया। अब ताजा जानकारी ये है कि गठबंधन में शामिल ममता बनर्जी की टीएमसी साफ कहने जा रही है कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को तय करना होगा कि वो वामपंथी दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहती है या टीएमसी के साथ। हिंदी अखबार दैनिक जागरण ने टीएमसी के सूत्रों के हवाले से ये खबर दी है। वहीं, वामपंथी दल सीपीआई के नेता डी. राजा ने कहा कि कांग्रेस सभी पार्टियों को भरोसे मे लेकर सीट बंटवारे पर आपसी सहमति बनाए।
इससे पहले शनिवार को बिहार के सीएम और जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने साफ कहा था कि वो विपक्षी गठबंधन की तरफ से 14 टीवी एंकर पर बैन लगाने के पक्ष में नहीं हैं। वहीं, सपा के महासचिव रामगोपाल यादव ने सनातन धर्म पर निशाना साध रहे डीएमके नेताओं को गलत बताया था। कांग्रेस के नेता कमलनाथ ने शुक्रवार को कहा था कि सनातन तो हमेशा रहा है और हमेशा रहेगा। इस पर सवाल उठाना गलत है। इन सब बयानों से ही साफ संकेत मिल रहे हैं कि विपक्षी गठबंधन में मुद्दों पर एकराय नहीं है।
विपक्षी गठबंधन में टकराव का पता तबसे चला, जब आम आदमी पार्टी ने साफ कर दिया कि वो छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश में उम्मीदवार उतारेगी। इससे पहले कांग्रेस की प्रवक्ता अलका लांबा ने कहा था कि पार्टी की तरफ से दिल्ली की सातों लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी के लिए कहा गया है। इस पर आम आदमी पार्टी भड़की, तो कांग्रेस के बड़े नेताओं की तरफ से अलका लांबा के बयान को गलत बता दिया गया था। बहरहाल, अब टीएमसी की तरफ से भी कांग्रेस को अगर साफ-साफ लफ्जों में खुद और वामपंथी दलों में से एक को चुनने के लिए कहा जाएगा, तो ये साफ है कि कांग्रेस इस मसले पर धर्मसंकट में फंसेगी और कांग्रेस के ऐसे किसी संकट में फंसने से विपक्षी दलों के गठबंधन में टकराव भी तेज हो सकता है।