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BJP Attacks Congress: ‘शरिया को ही कांग्रेस ने माना सुप्रीम लॉ..’, मुस्लिम महिलाओं के भरण-पोषण के अधिकार पर SC के फैसले के बाद BJP ने बोला हमला

BJP Attacks Congress: 1985 में, शाह बानो ने तलाक के बाद अपने पति से गुजारा भत्ता मांगा, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। हालांकि, तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संसद में कानून पारित करके इस फैसले को पलट दिया। राज्यसभा सांसद त्रिवेदी ने टिप्पणी की कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक को खत्म कर दिया है।

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को अपने पति से भरण-पोषण पाने के अधिकार के बारे में सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणियों का हवाला देते हुए कांग्रेस पार्टी पर हमला बोला है। बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने शाह बानो मामले का हवाला देते हुए राजीव गांधी सरकार पर संविधान के बजाय शरिया कानून को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया।

शाह बानो मामला

1985 में, शाह बानो ने तलाक के बाद अपने पति से गुजारा भत्ता मांगा, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। हालांकि, तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने संसद में कानून पारित करके इस फैसले को पलट दिया। राज्यसभा सांसद त्रिवेदी ने टिप्पणी की कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक को खत्म कर दिया है।

सुधांशु त्रिवेदी ने की कांग्रेस की आलोचना

त्रिवेदी ने जोर देकर कहा कि जब भी कांग्रेस सत्ता में रही है, संविधान खतरे में पड़ा है। उन्होंने राजीव गांधी सरकार के उस फैसले का विशेष रूप से उल्लेख किया, जिसके बारे में उनका दावा है कि उसने संविधान के मुकाबले शरिया कानून को तरजीह दी। त्रिवेदी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले ने संविधान की प्रतिष्ठा को बहाल किया है, जिसे कांग्रेस शासन के दौरान कमतर आंका गया था।

समान अधिकारों का मामला

त्रिवेदी ने इस बात पर जोर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को धार्मिक नजरिए से नहीं बल्कि समान अधिकारों के मुद्दे के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि कोई भी धर्मनिरपेक्ष देश हलाला, ट्रिपल तलाक या हज सब्सिडी जैसी प्रथाओं की अनुमति नहीं देता है। त्रिवेदी ने कांग्रेस सरकारों पर भारत को आंशिक इस्लामिक राज्य में बदलने का आरोप लगाया

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि तलाकशुदा मुस्लिम महिलाएं दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 125 के तहत भरण-पोषण मांगने की हकदार हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह धारा सभी विवाहित महिलाओं पर लागू होती है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। जस्टिस बीवी नागरत्ना और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने कहा कि मुस्लिम महिला (तलाक पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 1986 धर्मनिरपेक्ष कानून को खत्म नहीं करता है।