नई दिल्ली। राजस्थान में सचिन पायलट बनाम सीएम अशोक गहलोत की जंग के बारे में सभी को पता है। पिछले साल यानी 2022 में इस जंग के बीच कांग्रेस आलाकमान ने अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे को दूत के तौर पर जयपुर भेजा था। तब मंत्री शांति धारीवाल के नेतृत्व में गहलोत समर्थक विधायकों ने सचिन पायलट को राजस्थान का सीएम बनाने की किसी भी कोशिश के खिलाफ बगावती तेवर दिखाए थे। धारीवाल के यहां इन विधायकों ने बैठक की थी। सचिन पायलट ने बगावती तेवर दिखाने वाले गहलोत समर्थकों पर कार्रवाई की मांग कई बार कांग्रेस आलाकमान से की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सचिन पायलट को उनके बगावत की याद दिलाई है और जो कहा है, उससे साफ हो रहा है कि गहलोत समर्थकों पर कार्रवाई की पायलट की मांग को दरकिनार कर दिया है।
राजस्थान में दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी थी। तब सचिन पायलट प्रदेश अध्यक्ष और सरकार में डिप्टी सीएम थे। जुलाई 2020 में सचिन पायलट ने 19 विधायकों के साथ बगावती तेवर अपनाए थे। वो मानसेर जाकर बैठ गए थे। फिर कांग्रेस आलाकमान ने उनको समझाया-बुझाया था। अब सुखजिंदर सिंह रंधावा ने सचिन पायलट को उनके उसी बगावत की याद दिलाई है। रंधावा ने मीडिया से कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि कोरोना से पहले बगावत हुई थी। मैं इन बातों और अतीत में हुई घटनाओं को लेकर नहीं चलना चाहता। मैं भविष्य की बात करता हूं।
रंधावा ने कहा कि नेताओं को हमेशा भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। अतीत से भी सबक लेना चाहिए, ताकि कोई गलती दोबारा न हो। रंधावा ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस एकजुट है। रंधावा का ये बयान सचिन पायलट के विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी से मुलाकात के बाद आया है। रंधावा इससे पहले सचिन पायलट के अनशन को भी पार्टी विरोधी गतिविधि करार दे चुके हैं। ऐसे में सबकी नजर इस पर है कि अब सचिन पायलट अगला कदम क्या उठाते हैं। राजस्थान में इसी साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं।