नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने केंद्र सरकार से मांग की है कि राष्ट्र को आर्थिक संकट से उबारने के लिए देशभर के मंदिर ट्रस्टों के पास पड़ा सोना सरकार अपने कब्जे में ले ले। चव्हाण ने कहा कि यह सोना राष्ट्र की संपत्ति है और राष्ट्र के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने केंद्र सरकार को यह भी सुझाव दिया कि अगर केंद्र सरकार चाहे, तो 1 या 2% ब्याज पर यह सोना मंदिर ट्रस्टों से लिया जा सकता है।
इस संदर्भ में चव्हाण ने अंतरराष्ट्रीय संस्था वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का हवाला देते हुए कहा कि देश के मंदिर ट्रस्टों के पास लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थात 75 लाख करोड़ रुपये मूल्य का सोना पड़ा हुआ है।
#Stimulus @PMOIndia सरकारने ताबडतोब देशातील सर्व देवस्थान ट्रस्टमध्ये पडून असलेले सोने कर्जाने ताब्यात घ्यावे. #WorldGoldConcil च्या अंदाजानुसार देशात १ ट्रिलियन डॉलर (किंवा ७६ लाख कोटी रुपये) इतके सोने आहे. सरकारने हे सोने १ किंवा २ टक्के व्याजाने परतीच्या बोलीवर ताब्यात घ्यावे.
— Prithviraj Chavan (@prithvrj) May 13, 2020
चव्हाण ने कहा कि केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज घोषित किया है उसका स्वागत है लेकिन इसमें वो रकम भी शामिल है जो पहले ही रिजर्व बैंक कर्ज के तौर पर देने का ऐलान कर चुका है। ऐसे में कोरोना से पटरी से उतरी अर्थ व्यवस्था को ठीक करने, लोगों की जिंदगी बचाने और उनकी क्रय शक्ति बढ़ाने के लिए धार्मिक ट्रस्टों के पास रखा सोना सरकार अपने कब्जे में ले।
कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण की इस मांग पर भड़क गए संत
पृथ्वीराज चव्हाण की इस मांग स्वामी परमहंस और महंत कमल नयन दास ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इससे पहले कि धमार्थ न्यासों से सोना लिया जाए, यह जरूरी है कि कांग्रेस नेताओं ने जो संपत्ति गलत तरीके से जमा की है, उसे जब्त किया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि विगत 70 वर्षों में कांग्रेस के कई नेताओं ने केंद्र व विभिन्न राज्यों की सत्ता में रहते हुए गलत तरीके से धन जमा किए। उन्होंने कांग्रेस पर ‘विभाजनकारी नीतियों’ को बढ़ावा देने का आरोप भी लगाया।
तपस्वी छावनी से जुड़े स्वामी परमहंस ने कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण के सुझाव पर तल्ख टिप्पणी की है। उन्होंने कहा, ‘वो सोना लेने की बात करते हैं, जो भी लेना है, ले लें, लेकिन उससे पहले 70 साल से देश को लूटकर जो कांग्रेस बैठे हैं, उनकी संपत्ति जब्त करके इस महामारी में लगा दी जाए। इसके बाद वे मंदिरों की संपत्ति लेने की बात करें तो हम स्वागत करेंगे।’ उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ मंदिरों ही नहीं, मस्जिदों, गिरजाघरों और सभी तरह के धार्मिक स्थलों पर जो भी संपत्ति हो, उसे सरकारी घोषित कर उसे इस महामारी से जंग में लगाया जाए।
वहीं, मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास को भी कांग्रेस का सुझाव पसंद नहीं आया है। उन्होंने कांग्रेस नेताओं को ‘एंटी-नेशनल’ करार दिया है। उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस के लोग राष्ट्र विरोधी हैं। ऐसा क्यों है कि वे केवल धन पाने के लिए मंदिरों के बारे में सोच रहे हैं? मस्जिद और चर्च क्यों नहीं?’