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Politics: ओछी हरकत पर उतरे मध्यप्रदेश में कांग्रेसी, सिंधिया ने सिर नवाया तो रानी लक्ष्मीबाई की समाधि की शुद्ध

सियासत में रानी लक्ष्मीबाई को कांग्रेस ने घसीट लिया है। मंगलवार को तमाम कांग्रेसी कार्यकर्ता रानी की समाधि पर पहुंच गए। पुलिस ने समाधि का गेट बंद कर दिया। जिसके बाद कांग्रेस के लोग हंगामा करने लगे और गेट फांदकर अंदर घुस गए।

ग्वालियर। साल 1857 में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की मशाल जगाने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने ओछी राजनीति शुरू कर दी है। सोमवार को ग्वालियर के महाराज और केंद्र सरकार में मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रानी की समाधि पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी थी। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध करते हुए मंगलवार को रानी की समाधि स्थल पर जबरन घुसकर वहां गंगाजल छिड़का। उन्होंने रानी हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं का भी नारा लगाया। बता दें कि सोमवार को ज्योतिरादित्य ने रानी झांसी की समाधि पर पहुंचकर वहां सिर नवाया था। ऐसा करने वाले वो ग्वालियर के पहले महाराज हैं।

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ग्वालियर के शासकों पर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि साल 1857 की क्रांति के दौरान उन्होंने रानी की जगह अंग्रेजों का साथ दिया। पहले ये आरोप बीजेपी के लोग लगाते थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में आने के बाद ये आरोप कांग्रेस उनपर लगाने लगी है। इसी कड़ी में अब सियासत में रानी लक्ष्मीबाई को कांग्रेस ने घसीट लिया है। मंगलवार को तमाम कांग्रेसी कार्यकर्ता रानी की समाधि पर पहुंच गए। पुलिस ने समाधि का गेट बंद कर दिया। जिसके बाद कांग्रेस के लोग हंगामा करने लगे और गेट फांदकर अंदर घुस गए। वहां जेब से बोतल निकालकर उसमें रखा गंगाजल रानी की समाधि पर उन्होंने छिड़का।

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1857 का किस्सा ये है कि रानी लक्ष्मीबाई अंग्रेजों के खिलाफ मदद मांगने के लिए ग्वालियर के तत्कालीन महाराज के पास गई थीं। उससे पहले ही महाराज अपनी राजधानी और महल छोड़कर चले गए थे। हालांकि, सिंधिया के तमाम सिपाहियों ने रानी के साथ अंग्रेजों से मोर्चा लिया था। इसके बाद से ही लगातार सिंधिया खानदान को देशद्रोही बताया जाता रहा है। मशहूर कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने जब अपनी कविता “बुंदेले हरबोलो के मुंह हमने सुनी कहानी थी” लिखी, तो उसमें भी सिंधिया की ओर से रानी से दगाबाजी की बात कही। ज्योतिरादित्य ने रानी की समाधि पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इससे उनके कुल पर लगा कलंक कम होने की उम्मीद है।