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Aziz Qureshi: कांग्रेस नेता का विवादित बयान..’जय गंगा मैया का नारा लगाना ठीक नहीं’..देश में 2 करोड़ मुसलमान अगर मर भी जाएं तो हर्ज नहीं’

Aziz Qureshi: कुरेशी, जो पहले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तीन अन्य राज्यों के राज्यपाल के रूप में कार्य कर चुके हैं, केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं। मध्य प्रदेश के लातूरी में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कई विवादास्पद बयान दिए, जिसमें उन्होंने अपनी ही पार्टी की आलोचना की और उन पर हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे के साथ जुड़ने का आरोप लगाया।

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल अजीज कुरेशी ने अपने हालिया बयानों से विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें कहा गया है कि कांग्रेस कार्यालय में मूर्तियां रखना और हिंदुत्व पर चर्चा करना राजनीतिक आत्महत्या के समान है। यहां तक कि उन्होंने मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में एक कार्यक्रम के दौरान “जय गंगा मैया” (जय मां गंगा) के नारे पर भी अपना असंतोष व्यक्त किया। क़ुरैशी ने आगे कहा कि अगर उन्हें उनके विचारों के लिए कांग्रेस से निष्कासित करना पड़ा, तो ऐसा ही होगा।

कुरेशी, जो पहले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तीन अन्य राज्यों के राज्यपाल के रूप में कार्य कर चुके हैं, केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं। मध्य प्रदेश के लातूरी में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कई विवादास्पद बयान दिए, जिसमें उन्होंने अपनी ही पार्टी की आलोचना की और उन पर हिंदू राष्ट्रवादी एजेंडे के साथ जुड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ”कांग्रेस के कुछ सदस्य आज हिंदुत्व के बारे में बात करते हैं, धार्मिक जुलूस आयोजित करते हैं, ‘जय गंगा मैया,’ ‘जय नर्मदा मैया’ जैसे नारे लगाते हैं।’ यह शर्मनाक मामला है। मैं डरने वाला नहीं हूं, मुझे पार्टी से निकाल दीजिए। नेहरू और हमारे कांग्रेस सदस्य अब धार्मिक यात्राएं आयोजित करते हैं, गर्व से अपनी हिंदू पहचान का प्रचार करते हैं। वे कांग्रेस कार्यालय में मूर्तियां रखते हैं। यह राजनीतिक आत्महत्या का मामला है।”

क़ुरैशी के बयान से कांग्रेस पार्टी और जनता में बहस छिड़ गई है। उनकी टिप्पणी ऐसे समय आई है जब राजनीतिक दल धर्म और पहचान की राजनीति की जटिलताओं से जूझ रहे हैं। राज्य सरकारों और केंद्रीय प्रशासन दोनों में प्रमुख पदों पर रहने का कुरेशी का इतिहास उनके शब्दों में वजन जोड़ता है। जहां कुछ लोग उनके विचारों को व्यक्तिगत मान्यताओं की अभिव्यक्ति मानते हैं, वहीं अन्य लोग उन्हें कांग्रेस पार्टी के भीतर गहरे वैचारिक तनाव का प्रतिबिंब मानते हैं। यह देखना अभी बाकी है कि ये बयान पार्टी की गतिशीलता और क़ुरैशी के राजनीतिक भविष्य पर किस हद तक प्रभाव डालेंगे।