नई दिल्ली। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के चीफ और सांसद असदुद्दीन ओवैसी की सियासत आमतौर पर हिंदू-मुस्लिम पर ही फोकस रहती है। ओवैसी के ज्यादातर बयान इसी मुद्दे पर होते हैं। अब ओवैसी ने एक ऐसा बयान दिया है, जो विवाद खड़ा और बढ़ा भी सकता है। असदुद्दीन ओवैसी ने दरअसल समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को मुस्लिमों के खिलाफ बताया है। हिंदी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ नवभारत से इंटरव्यू में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने यूसीसी के बारे में ये बयान दिया है।
ओवैसी ने न्यूज चैनल से इंटरव्यू में कहा कि जब 21वें विधि आयोग ने कहा था कि यूसीसी की कोई जरूरत नहीं है और ये क्षेत्रीय अखंडता के लिए खराब है। फिर इसे क्यों लाने की कोशिश हो रही है। असदुद्दीन ओवैसी ने ये भी कहा कि यूसीसी से भारत का सामाजिक बहुलतावाद खत्म हो जाएगा। एआईएमआईएम चीफ ने इंटरव्यू में कहा कि बीजेपी के प्रवक्ता यूसीसी के बारे में खुलेआम कह रहे हैं कि ये मुस्लिमों के खिलाफ है। फिर क्यों न कहा जाए कि ये मुस्लिमों को टारगेट करने के लिए लाया जा रहा है। ओवैसी ने आगे कहा कि यूसीसी का सिर्फ मुस्लिमों पर ही नहीं, हिंदुओं पर भी असर पड़ेगा। यही बात ओवैसी कुछ दिन पहले भी कह चुके हैं।
ओवैसी ने कहा कि बीजेपी को देश के बहुलतावाद से दिक्कत है। उन्होंने कहा कि बहुलतावाद को बनाए रखने के लिए तीन सिविल कानून भी ठीक हैं। उन्होंने भारत के सेक्युलरिज्म को फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन से अलग बताया। उन्होंने कहा कि अगर भारत को अमेरिका की तरह बनाना चाहते हैं, तो ये ठीक है, लेकिन फ्रांस की तरह बनाने का विरोध करूंगा। ओवैसी ने कहा कि सिंगापुर और इजरायल में मुस्लिमों के लिए पर्सनल लॉ हैं। ब्रिटेन में भी स्कॉटलैंड और इंग्लैंड में अलग-अलग आपराधिक कानून हैं। इंग्लैंड में इस्लामी बैंकिग वैध है।