newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

कोरोनावायरस : मधुबनी के क्वारंटाइन केंद्रों की हालत खराब, सेनिटाइजर और स्क्रीनिंग की व्यवस्था नहीं

देश में कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीजों की संख्या में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है। सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र, दिल्ली और तमिलनाडु से सामने आ रहे हैं।

पटना। देश में कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीजों की संख्या में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही है। सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र, दिल्ली और तमिलनाडु से सामने आ रहे हैं। अन्य राज्यों की तुलना में बिहार की स्थिति अभी नियंत्रण में है। राज्य में हालात न बिगड़े, इसके लिए राज्य सरकार द्वारा कई एहतियाती कदम उठाए जाने का दावा किया जा रहा है।


इसी कड़ी में राज्य सरकार ने अन्य राज्यों से बिहार लौटे लोगों की फिर से स्क्रीनिंग कराने का फैसला किया है। 22 मार्च के बाद तकरीबन 1.8 लाख लोग अन्य राज्यों से बिहार लौटे हैं, जिन्हें राज्य की सीमाओं पर और गांवों के बाहर हर प्रखंड में बनाए गए क्वारंटीन सेंटरों में रखा गया है। मुख्य सचिव दीपक कुमार के मुताबिक 22 मार्च से स्क्रीनिंग की प्रक्रिया शुरू है।


लेकिन बिहार सरकार के दावों के उलट क्वारंटीन सेंटरों की स्थिति उलट है। राज्यों के क्वारंटीन सेंटरों की स्थिति बदतर है। न तो यहां रह रहे लोगों की स्क्रीनिंग की गई है, और न ही कवारंटीन के नियम पर अमल किया जा रहा है। मधुबनी जिले का कुछ ऐसा ही हाल है। यहां के हरलाखी प्रखंड क्षेत्र में कोरोना महामारी को रोकने के लिए अन्य राज्यों एवं विदेशों से आए बाहरी लोगों के लिए क्वारंटीन सेंटर चल रहे हैं। प्रशासनिक उदासीनता के कारण ठहरे परदेशियों को किसी प्रकार की कोई जांच सुविधा नही दी गई है।

corona kit
हरलाखी प्रखंड के विद्यालय करुणा के क्वारंटीन सेंटर में देश-विदेश से आए 18 लोगों को 14 दिनों कि लिए रखा गया है। लेकिन सिर्फ छह लोग ही यहां मौजूद हैं। बाकी 12 लोग अपने-अपने घरो को चले गए हैं। इस क्वारंटीन सेंटर पर न तो कोई थाने का चौकीदार है और न ही स्वास्थ्य विभाग का कोई कर्मचारी। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए यहां न तो सेनिटाइजर दिया गया है और न ही स्क्रीनिंग की गई है।

प्रखंड के जिस स्कूल को कवारंटीन सेंटर में तब्दील किया गया है, वहां के प्रधानाचार्य फिरोज अहमद कहते हैं, “यहां 18 लोगों को रखा गया था, लेकिन सिर्फ 6 लोग ही यहां हैं। बाकी के 12 लोग अपने-अपने घरों में अक्सर रहते हैं। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से यहां कोई व्यवस्था नहीं की गई है।” कवारंटीन में रखे गए मनोज कहते हैं कि “हम लोगों को भ्रम में रखा गया है। पदाधिकारी आते तो जरूर हैं, लेकिन सिर्फ पूछताछ कर, मोबाइल से सेल्फी लेकर निकल जाते हैं।”

जिले के सिविल सर्जन डॉक्टर किशोर चन्द्र चौधरी ने कहा, “जिले में तीन अस्पतालों और दो होटल को क्वारंटीन सेंटर में तब्दील किया गया है। जांच के लिए सिर्फ इन्फ्रा रेड थर्मामीटर है। संभव ही नहीं है कि एक इंफ्रारेड थर्मामीटर से सब लोगों की स्क्रीनिंग की जाए। आइसोलेशन वार्ड में और व्यवस्था करना प्रशासन का काम है।”