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PM Modi: पीएम मोदी के रोड शो के खिलाफ़ दाखिल हुई याचिका, कोर्ट ने की खारिज

पीएम मोदी की रैली के विरोध में कर्नाटक हाईकोर्ट में यह याचिका किसी और ने नहीं, बल्कि एडवोकेट विश्वनाथ सबरद ने दाखिल की थी, जिसमें आगामी 6 और 7 मई को प्रधानमंत्री की प्रस्तावित रैलियों को रद्द करने की मांग की गई थी।   याचिका में पीएम मोदी की रैली को रद्द करने की पीछे की वजह यह बताई गई थी कि उनकी रैलियों में अमूमन लाखों की संख्या में लोग शामिल होते हैं, जिससे आम लोगों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पीएम मोदी राज्य में ताबड़तोड़ रैलियां करके सूबे की जनता को रिझाने की कोशिश कर रहे हैं। कभी कांग्रेस पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं, तो कभी कांग्रेस पर आतंकियों के प्रति नरम रुख अख्तियार करने का। कुल मिलाकर बीजेपी की पूरी टोली अभी आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए एक्शन मोड में आ चुकी है। वहीं अब इस एक्शन मोड का भाजपा को कितना फायदा मिल पता है, यह तो नतीजों वाले दिन यानी की 13 मई को पता चलेगा, लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि पीएम मोदी की रैली को लेकर एक बड़ी  खबर सामने आई है, जिसके बाद से बीजेपी के समर्थक खासा उत्साहित नजर आ रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर बीजेपी विरोधियों के बीच मायूसी छा गई है। आइए,  जरा आगे आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

जानें पूरा माजरा

दरअसल, आगामी 6 और 7 मई की पीएम मोदी की प्रस्तावित रैली के विरोध में कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई थी। जिसमें रैली को निरस्त करने की मांग की गई थी, लेकिन कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। बता दें कि यह निर्णय जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस विजयकुमार ए पाटिल की खंडपीठ ने अपने आदेश में दिया है। हाईकोर्ट ने आगे अपने निर्देश में कहा है कि हमने इस आधार पर अनुग्रह को अस्वीकार कर दिया होगा कि आवश्यक पक्ष प्रतिवादी के रूप में नहीं है। हालांकि, याचिकाकर्ता ने निष्पक्ष रूप से प्रस्तुत किया कि वह कल की घटनाओं को पूरी तरह से बाधित करने का इरादा नहीं रखता है। उसे जो चाहिए वह उचित विनियमन है। जनहित के तत्व हैं इसलिए हमने उस चरम उपाय का सहारा नहीं लिया। इसी के साथ याचिका को विराम दिया जाता है।”

pm modi

जानें कोर्ट ने क्या कहा

बता दें कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि भारत में चुनाव को एक त्योहार के तौर पर लिया जाता है, जिसमें उत्साहपूर्वक सभी हिस्सा लेते हैं। भारी संख्या में लोग चुनावी रैलियो में हिस्सा लेते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि रैलियों पर पाबंदी नहीं लगाई जा सकती है। यह राजनेताओं के लिए एक लोकतांत्रिक प्रणाली में उत्साह का प्रतीक माना जाता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि एक लोकतांत्रिक देश चुनावी रैलियां ना महज जनता से संवाद स्थापित करने का जरिया हैं, बल्कि ज्ञान को विस्तारित करने का माध्यम भी है, जिसकी विश्वनीयता को बरकरार रखना हमारा कर्तव्य है।

किसने की थी याचिका खारिज

ध्यान रहे कि पीएम मोदी की रैली के विरोध में कर्नाटक हाईकोर्ट में यह याचिका किसी और ने नहीं, बल्कि एडवोकेट विश्वनाथ सबरद ने दाखिल की थी, जिसमें आगामी 6 और 7 मई को प्रधानमंत्री की प्रस्तावित रैलियों को रद्द करने की मांग की गई थी।   याचिका में पीएम मोदी की रैली को रद्द करने की पीछे की वजह यह बताई गई थी कि उनकी रैलियों में अमूमन लाखों की संख्या में लोग शामिल होते हैं, जिससे आम लोगों को खासा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में भारत के संविधान के मुताबिक, किसी राजनेता की चुनावी रैली के कारण किसी आम जनता को दुश्वारियों का सामना करना पड़े, यह उचित नहीं है। बहरहाल,  उक्त याचिका के खारिज  किए जाने के बाद पीएम मोदी के समर्थकों में खुशी का आलम है। उम्मीद है कि आगामी रैलियों में अब पीएम मोदी इसे भी मुद्दा बनाकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों को आड़े हाथों लेंगे। वर्तमान में पीएम हनुमान जी को मुद्दा बनाकर कांग्रेस निशाना साध रहे हैं।

pm modi

सनद रहे कि गत दिनों कांग्रेस ने अपने मेनिफेस्टो में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की बात कही थी, जिसे मुद्दा बनाकर बीजेपी ने कांग्रेस पर हमला बोला तो कांग्रेस बैकफुट में आ गई। कर्नाटक कांग्रेस के प्रदेश अध्य़क्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि अगर प्रदेश में हमारी सरकार आई, तो जगह-जगह हनुमान मंदिर  बनाए जाएंगे। जिस पर बीजेपी ने बाद में तंज भी कसा। बहरहाल, अभी आगामी चुनाव को लेकर प्रदेश का सियासी ताप अपने चरम पर  है। चुनाव 10 मई को होने हैं और नतीजों की  घोषणा आगामी 13 मई को होगी। ऐसे में अब सूबे में किसकी सरकार बनती है।  इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।