नई दिल्ली। दैनिक भास्कर अखबार पर पड़े आयकर छापों ने काले अक्षरों की आड़ में छिपाए गए हजारों करोड़ के काले कारोबार की बखिया उधेड़ दी है। जांच से जो तथ्य सामने आए हैं, उसे जानकर आपका पत्रकार और पत्रकारिता दोनो से यकीन उठ जाएगा। दैनिक भास्कर के खातों में काली रकम का विशाल चक्रव्यूह शामिल है। जांच में मालूम पड़ा है कि भास्कर के खातों में छुपे 2200 करोड़ के फर्जीवाड़े को छिपाने की खातिर बेहद ही शातिर तरीके का इस्तेमाल किया गया। फर्जीवाड़े का नया रिकॉर्ड स्थापित किया गया। ऐसे सौदे दिखाए गए जिसमें माल की कोई भी डिलेवरी या मूवमेंट शामिल नहीं था। टैक्स चोरी का पूरा का पूरा कच्चा चिट्ठा भी इस छापे में सामने आया है जिसका परीक्षण जारी है।
अखबार की आड़ में जमीन, जायदाद और शापिंग मॉल के धंधे के सरगना बन चुके इस ग्रुप ने मॉल की खातिर लिए गए लोन में भी फर्जीवाड़ा किया। इसने मॉल की खातिर एक नेशनल बैंक से 597 करोड़ का लोन लिया। इसके बाद लोन की इसी रकम से 408 करोड़ रुपए अपनी ही एक सहयोगी कंपनी को केवल एक फीसदी के ब्याज पर बतौर लोन दे दिए गए। फर्जीवाड़े की इस स्टोरी का एक अहम पहलू यह भी रहा कि इस समूह की रियल एस्टेट कंपनी ने अपने टैक्सेबल मुनाफे से ब्याज के खर्चें लगातार क्लेम किए। ये तब हुआ जबकि इस रकम को होल्डिंग कंपनी के निजी निवेश में खपा दिया गया।
दैनिक भास्कर की लिस्टेड मीडिया कंपनी भी फर्जीवाड़े की इस रेस का अहम हिस्सा रही। इसने विज्ञापन के राजस्व के लिए बार्टर सौदे किए। इन सौदों के तहत नकद पेमेंट के बदले अचल संपत्तियां हथियाई गईं। इस बात के भी सबूत मिले कि बाद में इन्हीं प्रापर्टीज को बेचकर नकद धनराशि हासिल की गई। इसका भी परीक्षण जारी है। इस बात के भी सबूत मिले हैं इस ग्रुप की रियलिटी विंग ने नकद लेकर फ्लैट्स की बिक्री की। इस कंपनी के दो कर्मचारियों और एक डायरेक्टर ने इस फर्जीवाड़े की पुष्टि की। इस फर्जीवाड़े के तरीके औैर उससे जुड़े दस्तावेजों का भी भंडाफोड़ हुआ है। हैरानी की बात यह भी रही कि कंपनी के प्रमोटर्स और प्रमुख कर्मचारियों के घरों के भीतर ही कुल 26 लॉकर पकड़े गए। इसके साथ ही भारी मात्रा में कागजात भी जब्त किए गए जिनका अध्ययन जारी है।