नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनीता बोस पाफ ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बारे में कहा है कि वो उनके पिता को राजनीति से दूर करना चाहते थे। अनीता बोस ने ये भी कहा है कि अगर उनके पिता यानी नेताजी सुभाष जीवित होते, तो वो कतई पाकिस्तान नहीं बनने देते। हिंदी अखबार “दैनिक भास्कर” को दिए इंटरव्यू में अनीता ने कहा कि 1930 में उनके पिता को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया, लेकिन गांधीजी उन्हें इस पद पर देखना नहीं चाहते थे। अनीता ने कहा कि गांधीजी काफी नाराज भी हुए। वो नेताजी को राजनीति से दूर करना चाहते थे। सुभाष की बेटी के अनुसार 1946 में कांग्रेस नेतृत्व ने उनके पिता को काफी निराश किया। नेताजी देश विभाजन के खिलाफ थे और अगर वो जीवित होते, तो गांधीजी से मतभेद के बाद भी पाकिस्तान का बनना कतई स्वीकार नहीं करते।
अनीता ने कहा कि आजादी के बाद उस समय की सरकार को लगा कि भारत को अहिंसा से आजादी मिली है। कई दशक बाद दस्तावेजों से पता चला कि भारत की आजादी में आजाद हिंद फौज की अहम भूमिका थी। अनीता बोस ने इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा लगाने के फैसले का स्वागत भी किया। साथ ही उन्होंने कहा कि इसका विरोध करने वालों से कहेंगी कि अगर वो जगह खाली रहे, तो उसका कोई और विकल्प भी नहीं है। नेताजी की बेटी ने इंटरव्यू में कहा कि अगर उनके पिता की मूर्ति वहां नहीं लग सकती, तो जो भी महान व्यक्ति इस स्थान के लिए उपयुक्त लगे, उसकी प्रतिमा लगा दी जाए। उन्होंने कहा कि छतरी के नीचे नेताजी के अलावा गांधीजी की भी मूर्ति लगाई जा सकती है।
बता दें कि अनीता की मां का नाम एमिलि शेंकेल था। नेताजी जब जर्मनी गए थे, तो वहां उन्होंने हिटलर से बातचीत कर अंग्रेजों के खिलाफ आजादी का आंदोलन छेड़ने की रणनीति बनाई थी। बर्लिन में रहते वक्त एमिलि शेंकल उनकी सेक्रेटरी के तौर पर काम करती थीं। एमिलि से नेताजी सुभाष ने शादी कर ली थी। इन दोनों की ही बेटी अनीता हैं। वह जर्मनी में रहती हैं।