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Jaishankar On China: ‘एलएसी पर सेना की तैनाती असामान्य, अनदेखी नहीं कर सकते’, चीन से तनातनी के बीच बोले विदेश मंत्री जयशंकर

Jaishankar On China: जयशंकर ने सभी भारतीयों से कहा कि हममें से किसी को भी देश की सुरक्षा की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने इसे मौजूदा दौर की चुनौती बताया और चीन से तनातनी के मामले में बोले कि विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की अनदेखी से आर्थिक चुनौती भी सामने है।

कोलकाता। चीन से लगी एलएसी पर सेना की असामान्य तैनाती है। ये बात विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को कोलकाता में एक कार्यक्रम के दौरान कही। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि देश की सुरक्षा की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने चीन और भारत के बीच तनाव के मामले में ये भी कहा कि इसके कारण आर्थिक चुनौती भी है।

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि 1988 में पीएम रहने के दौरान राजीव गांधी चीन के दौरे पर गए थे। उनका चीन जाने का कारण था कि दोनों देश सीमा के मामले में मतभेदों पर चर्चा कर शांति बनाए रखने के लिए ठोस बातचीत करेंगे। बाकी संबंध भी जारी रहेंगे। चीन के साथ तभी से संबंधों का यही आधार रहा। जयशंकर ने कहा कि साल 2020 में चीन ने कई समझौतों का उल्लंघन किया। एलएसी पर बड़ी तादाद में सेना की तैनाती भई कर दी। इसका जवाब देते हुए भारत ने भी सेना को बड़ी संख्या में तैनात किया। उस वक्त कोरोना का लॉकडाउन चल रहा था। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि तब से दोनों देशों की सेना गलवान में सामान्य स्थिति से आगे तैनात हो रही हैं।

india and china

जयशंकर ने सभी भारतीयों से कहा कि हममें से किसी को भी देश की सुरक्षा की अनदेखी नहीं करनी चाहिए। उन्होंने इसे मौजूदा दौर की चुनौती बताया और चीन से तनातनी के मामले में बोले कि विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की अनदेखी से आर्थिक चुनौती भी सामने है। बता दें कि चीन लगातार पूर्वी लद्दाख के हिस्सों और अरुणाचल प्रदेश को अपना बता रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने चीन से संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए कई बार वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को भारत आने का न्योता दिया और उनकी भारत ने खातिरदारी भी की, लेकिन 2020 से चीन आंखें दिखा रहा है। गलवान घाटी में भारत की सेना के कर्नल समेत 20 जवान शहीद हुए थे। जबकि, चीन के भी दर्जनों सैनिक मारे गए थे। विदेश मंत्री जयशंकर और खुद पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से देशवासियों को पहले ही बताया जा चुका है कि इतना सब करने के बाद भी भारत की एक इंच जमीन पर चीन कब्जा नहीं कर सका है।