नई दिल्ली। विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी यानी सपा के बीच मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा न होने पर जंग छिड़ गई। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कांग्रेस पर आरोप लगा दिया कि उनकी पार्टी के नेताओं से देर रात तक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने चर्चा की और 6 सीटें देने पर विचार करने की बात कही। अखिलेश यादव ने यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय का नाम लिए बगैर उनको चिरकुट तक कह दिया था। हालांकि, बाद में अखिलेश ने कहा कि फिलहाल वो इस मामले को याद नहीं रखना चाहते। फिर भी सपा ने मध्यप्रदेश में अब तक 33 उम्मीदवारों का एलान किया है और सूत्रों की मानें, तो अखिलेश यादव अपनी पार्टी के कुल 50 प्रत्याशी मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी कर रहे हैं।
सपा की तरफ से मध्यप्रदेश में उम्मीदवार उतारने से कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है। खासकर यूपी से सटे मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में पहले भी सपा के चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों ने कांग्रेस को काफी नुकसान पहुंचाया है। इस इलाके की 14 सीटों पर सपा का दबदबा रहा है। सपा ने तो साल 2003 में मध्यप्रदेश विधानसभा की 7 सीटें तक जीत ली थीं, लेकिन इस आंकड़े को वो बरकरार नहीं रख सकी। फिर भी 2018 में मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव में सपा ने कई सीटों पर कांग्रेस की हालत पतली कर उससे जीत का सेहरा छीन लिया था। तो इन आंकड़ों पर गौर फरमा लेते हैं, क्योंकि अगर मध्यप्रदेश में कांग्रेस 6 सीटें सपा को दे देती, तो उसे बाकी सीटों पर फायदा हो सकता था।
साल 2018 में सपा को मिले वोट के कारण कांग्रेस मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में 8 सीटें हारी थी। सपा के प्रत्याशी 5 सीट पर दूसरे और 4 सीट पर तीसरे नंबर पर रहे थे। जिन 5 सीट पर सपा दूसरे नंबर पर रही, उनमें बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। सपा ने कांग्रेस को किस कदर नुकसान पहुंचाया था, ये इसी से पता चलता है कि मैहर की सीट पर सपा को 11000 वोट मिले थे और कांग्रेस इस सीट को महज 3000 वोट से हार गई थी। इसी से साफ है कि सपा के साथ अगर कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में सीटों का बंटवारा कर लिया होता, तो उसे फायदा होता। अब सबकी नजर इस पर है कि सपा के प्रत्याशी कितना वोट हासिल करते हैं और इससे कांग्रेस को नुकसान होता है या वो सपा का प्रभुत्व खत्म कर जीत हासिल कर पाती है।