अहमदाबाद। साल 2002 में गुजरात में भीषण दंगे हुए थे। इन दंगों के दौरान बिलकीस बानो नाम की महिला से गैंगरेप हुआ था। उस मामले में उम्रकैद की सजा पाने वालों को इस बार स्वतंत्रता दिवस पर गुजरात सरकार ने माफी दे दी और वे जेल से छूट गए। इस मामले में बीजेपी के साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी भी विपक्ष के निशाने पर हैं, क्योंकि मोदी ने लालकिले से भाषण में महिलाओं की इज्जत करने और उन्हें सुरक्षा देने की बात कही थी। लेकिन क्या मोदी और बीजेपी इस मामले में जिम्मेदार हैं? विपक्ष भले ही उन्हें जिम्मेदार बता रहा हो, लेकिन हकीकत कुछ और कहती है।
हकीकत ये है कि बिलकीस बानो के गैंगरेप के मामले में जिन दोषियों को जेल से रिहाई मिली, उसमें केंद्र या राज्य सरकार की भूमिका नहीं दिखती। इन दोषियों में से एक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उसने लंबी सजा भुगतने की बात कहते हुए बाकी सजा माफ करने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गुजरात सरकार को वादी और उसके अन्य दोषी साथियों की सजा कम करने के बारे में फैसला लेने के लिए कहा था। उसी आदेश पर गुजरात सरकार ने एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने बिलकीस मामले के सभी दोषियों को रिहा करने का फैसला किया।
Dear @CMOGuj
These are guidelines available on the Home Ministry website.
Special remission is not to be granted to the following categories of convicts:
Read page 4, point 5 (vi) pic.twitter.com/IVrdL4Hgpj
— Anshul Saxena (@AskAnshul) August 16, 2022
अब बात इसकी कि क्या मोदी एक तरफ महिला सम्मान की बात करते हैं और गुजरात में उनकी ही पार्टी की सरकार रेपिस्ट्स को रिहा करके मोदी के बयान से उलट काम करती है? इस सवाल का जवाब ये है कि मोदी के बयान में और केंद्र सरकार के रुख में कोई विरोधाभास नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को बंदियों को छोड़ने के बारे में जो भी दिशानिर्देश दिए हैं, उनमें उम्रकैद की सजा पाने और रेप के दोषियों को भी न छोड़ने के लिए कहा है। विपक्ष के आरोपों के बाद ये दिशानिर्देश सोशल मीडिया पर छाए हैं। नीचे इस ट्वीट में आप खुद देखिए कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने किन दोषियों को रिहा न करने के लिए राज्यों को कह रखा है।