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PM Cares Fund: पीएम केयर्स फंड की वजह से देश के अस्पतालों में बढ़ी तीन गुना वेंटिलेटर्स की संख्या

PM Cares Fund: सरकार की तरफ से कहा गया है कि, मशीनों में आने वाली गड़बड़ियों और रखरखाव के मुद्दों को तेजी से सुलझाने के लिए राज्य के स्वास्थ्य विभागों के प्रतिनिधियों और बीईएल जैसे निर्माताओं के साथ व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं।

नई दिल्ली। देश में कोरोना संकट के बीच एक अच्छी खबर सामने आई है। बता दें कि पीएम केयर्स फंड की वजह से देश के अस्पतालों में वेंटिलेटर्स की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। इससे इलाज कराने वालों को अधिक फायदा मिल रहा है। अस्पतालों में वेंटिलेटर्स को लेकर जो जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक, पिछले साल लगभग 16,000 वेंटिलेटर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पास थे, जिसकी संख्या वर्तमान में बढ़कर 60,000 यानी कि तीन गुना ज्यादा हो गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी सूत्रों ने बताया कि भारत में कोरोना महामारी के प्रसार और पीएम केयर्स फंड की स्थापना के बाद राज्यों को 43,800 वेंटिलेटर दिए गए हैं। वहीं गैर-सरकारी अनुमानों पर नजर करें तो, देश में सार्वजनिक और निजी चिकित्सा सुविधाओं में लगभग 47,500 वेंटिलेटर थे। एक रिपोर्ट के आधार पर जानकारी सामने आई है कि, पब्लिक अस्पतालों में वेंटिलेटर की संख्या 17,850 थी, जो केंद्र के 16,000 के अनुमान से ज्यादा है।

ventilators

हालांकि राज्यों को वेटिंलेटर मिलने के बाद भी उनका इस्तेमाल नहीं करते पाया गया है, ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से राज्यों से अपील की गई है कि, वे इन वेटिंलेटर का प्रयोग करें। हालांकि इस बीच पंजाब और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों शिकायत की है कि, कई मशीनें खराब हैं। जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि उनकी टीमों ने पंजाब के कई अस्पतालों का दौरा किया और कुछ उपकरणों को बदलने के बाद मशीनों को लगाया है।

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वहीं सरकार की तरफ से कहा गया है कि, मशीनों में आने वाली गड़बड़ियों और रखरखाव के मुद्दों को तेजी से सुलझाने के लिए राज्य के स्वास्थ्य विभागों के प्रतिनिधियों और बीईएल जैसे निर्माताओं के साथ व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं। जिसके बाद से इन्हें ठीक करने में मदद मिल रही है। बता दें कि कोरोना महामारी से पहले बड़े राज्यों में भी वेंटिलेटर की उपलब्धता सीमित थी। महाराष्ट्र में लगभग 5,800, यूपी में 7,000 और कर्नाटक में 6,600 वेंटिलेटर थे। बिहार, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे जनसंख्या वाले राज्यों में बहुत ही कम वेंटिलेटर थे।