नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद अब राजनीतिक दलों की नजरें एमएलसी चुनाव पर है। मंगलवार से इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई। प्रदेश की 36 विधान परिषद की सीटों पर नौ अप्रैल को मतदान होना है। 100 सीटों वाले विधान परिषद में अभी भाजपा के 35 एमएलसी हैं। वहीं, समाजवादी पार्टी के खाते में 17 सदस्य हैं। इनमें से भी कई सीटें आने वाले दिनों में खाली होंगी। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सीट भी खाली हो जाएगी। दूसरी ओर बसपा के चार, कांग्रेस के एक, अपना दल (सोनेलाल) के एक सदस्य हैं। इसके अलावा दो शिक्षक एमएलसी, दो निर्दलीय और एक निषाद पार्टी के सदस्य हैं। 37 पद रिक्त हैं। 2010 में जब मायावती मुख्यमंत्री थीं, तब बसपा ने 36 में 34 सीटें जीती थीं। 2016 में जब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे, तब सपा ने 31 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसमें आठ सीटों पर निर्विरोध ही सपा प्रत्याशी जीत गए थे। 2018 में 13 सदस्य निर्विरोध ही चुनाव जीत गए थे। इसमें योगी आदित्यनाथ, केशव प्रसाद मौर्य, डॉ. दिनेश शर्मा समेत 10 सदस्य भाजपा के थे। इसके अलावा अपना दल (सोनेलाल) और सपा के एक-एक सदस्य भी चुने गए थे। 2020 में शिक्षक एमएलसी के चुनाव हुए थे। तब छह सीटों में से तीन पर भाजपा, एक पर सपा और दो पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। 2020 में ही पांच एमएलसी की सीटों के लिए चुनाव हुए थे। तब तीन पर भाजपा और एक पर समाजवादी पार्टी की जीत हुई थी। 2021 में भाजपा के चार सदस्यों को राज्यपाल ने नामित किया था।
कौन-कौन वोट डालता है?
विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल छह साल के लिए होता है। चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम 30 साल उम्र होनी चाहिए। एक तिहाई सदस्यों को विधायक चुनते हैं। इसके अलावा एक तिहाई सदस्यों को नगर निगम, नगरपालिका, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के सदस्य चुनते हैं। वहीं, 1/12 सदस्यों को शिक्षक और 1/12 सदस्यों को रजिस्टर्ड ग्रैजुएट चुनते हैं। यूपी में विधान परिषद के 100 में से 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं। वहीं 36 सदस्यों को स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि चुनते हैं। 10 मनोनीत सदस्यों को राज्यपाल नॉमिनेट करते हैं। इसके अलावा 8-8 सीटें शिक्षक निर्वाचन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के तहत आती हैं।
इन सीटों के लिए 19 मार्च तक लिए जाएंगे नामांकन
मुरादाबाद-बिजनौर, रामपुर-बरेली, बदायूं, पीलीभीत-शाहजहांपुर, हरदोई, खीरी, सीतापुर, लखनऊ-उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, बाराबंकी, बहराइच, आजमगढ़-मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर-सोनभद्र, इलाहाबाद, बांदा-हमीरपुर, झांसी-जालौन-ललितपुर, कानपुर-फतेहपुर, इटावा-फर्रूखाबाद, आगरा-फिरोजाबाद, अलीगढ़, बुलन्दशहर, मेरठ-गाजियाबाद एवं मुजफ्फरनगर-सहारनपुर तथा मथुरा-एटा-मैनपुरी स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र के लिए 19 मार्च तक नामांकन लिए जाएंगे। मथुरा-एटा-मैनपुरी स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से 2 सदस्य तथा शेष निर्वाचन क्षेत्रों से 1-1 सदस्य निर्वाचित होने हैं।
इन छह सीटों के लिए 22 मार्च तक लिए जाएंगे नामांकन
शुक्ला ने बताया कि 35 प्राधिकारी क्षेत्र को पहले दो भागों में बांट कर चुनाव कराया जाना प्रस्तावित था, क्योंकि साथ में विधानसभा चुनाव भी चल रहा था, लेकिन बाद में तिथियों में संशोधन कर दिया गया था। क्योंकि पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई थी इस लिए उसे आगे जारी रखा जा रहा है। बाकी की 6 सीटों (गोंडा, फैजाबाद, बस्ती-सिद्धार्थनगर, गोखपुर-महाराजगंज, देवरिया और बलिया) के लिए 15 मार्च से 22 मार्च तक नामांकन लिए जाएंगे। सभी 35 निर्वाचन क्षेत्रों की 36 सीटों के लिए मतदान 9 अप्रैल को सुबह 8 बजे से 4 बजे तक होगा और मतगणना 12 अप्रैल को होगी।