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इस तारीख तक लगी एग्जिट पोल पर रोक, यूपी चुनाव से पहले निर्वाचन आयोग का बड़ा फैसला, अखिलेश ने भी उठाई थी मांग

Uttar Pradesh : विभिन्न मीडिया संस्थानों द्वारा उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनावी नतीजों को एगिजट पोल के जरिए बताने की प्रवत्ति पर रोक लगा दी गई है। आयोग के निर्देश के मुताबिक, 10 फरवरी से सात मार्च तक एग्जिट पोल जारी करने पर रोक रहेगी।

नई दिल्ली। वैसे तो किसी भी चुनाव में किसकी जीत होगी और किसकी हार। इसका फैसला जनता-जनार्दन करती है, लेकिन उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जिस तरह से एग्जिट पोल की बौछार हुई उससे यह लगने लगा कि इस बार सियासी दलों के हार-जीत का फैसला जनता जानर्दन नहीं, बल्कि एग्जिट पोल करेगी। मुख्तलिफ सियासी दलों की हार जीत को लेकर आए दिन सामने आते एग्जिट पोल ने सियासी सूरमाओं को एक पल के लिए व्यथित कर दिया था, जिसे ध्यान में रखते हुए विगत दिनों सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग से एग्जिट पोल पर रोक लगाने की मांग की थी। अब आयोग ने उनके इसी मांग को ध्यान में रखते हुए बड़ा फैसला लिया है।

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बता दें कि विभिन्न मीडिया संस्थानों द्वारा उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनावी नतीजों को एगिजट पोल के जरिए बताने की प्रवत्ति पर रोक लगा दी गई है। आयोग के निर्देश के मुताबिक, 10 फरवरी से सात मार्च तक एग्जिट पोल जारी करने पर रोक रहेगी। वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि, एग्जिट पोल पर यह रोक 10 फरवरी सुबह 10 बजे से लेकर सात मार्च तक शाम साढ़े 6 बजे तक रहने वाला है। इस उक्त अवधि के दौरान मीडिया के किसी भी माध्यमों के जरिए चुनावी नतीजों को एग्जिट पोल के जरिए बताने पर रोक लगा दी गई है।

उल्लंघन करने वालों की खैर नहीं

चुनाव आयोग के मुताबिक, अगर किसी मीडिया संस्थान ने आयोग के इस निर्देश की अवहेलना की तो उसे 2 वर्ष का कारावास और भारी जुर्माना भरना पड़ेगा। बता दें कि अखिलेश यादव ने भी यह मांग उठाई थी। जिस पर हामी भरते हुए आज आयोग ने उक्त फैसला सुनाया है। ध्यान रहे कि अब तक आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए जितने भी एग्जिट पोल जारी किए गए हैं, उसमें बीजेपी आगे जाती हुई ही नजर आ रही है। जाहिर है कि इससे सपा समेत अन्य सियासी दल कुंठित हो। खैर, आगामी 10 फरवरी से सूबे में सात चरणों में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं और नतीजों की घोषणा आगामी 10 मार्च को होगी तब यह तय हो जाएगा कि सूबे में सत्ता का ऊंट किस करवट बैठने जा रहा है। फिलहाल, सभी राजनीतिक दल विजयी रथ पर सवार होने के लिए ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार कर जनता को रिझाने में  लगे हुए हैं।