
नई दिल्ली। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर यानी पीके ने एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ एकजुट होने की कोशिश में जुटे विपक्षी दलों की बड़ी कमी उजागर की है। प्रशांत किशोर का कहना है कि विपक्ष एकजुट तो हो सकता है, लेकिन उसके पास मोदी के मुकाबले कोई चेहरा नहीं है। हिंदी अखबार ‘दैनिक भास्कर’ से खास इंटरव्यू में पीके ने कहा कि सिर्फ पार्टियों या नेताओं के साथ आ जाने से पूरे वोटर मिल जाएं, ये जरूरी नहीं है। पार्टियों को साथ आने के साथ चेहरा भी चाहिए और चुनावी मैदान में आपस का सहयोग भी। इसके अलावा चुनाव प्रचार भी दमदार होने की जरूरत है।
पीके ने कहा कि महागठबंधन का जो तरीका है, वो 2015 में बिहार से शुरू हुआ था। उसके बाद लोगों की धारणा बनी कि सारा विपक्ष एकजुट हो जाएगा, तो चुनाव भी जीत जाएगा। फिर भी 2015 के बाद तमाम ऐसे गठबंधन बने और वे सभी बीजेपी के मुकाबले हार गए। प्रशांत किशोर ने इस इंटरव्यू में दावा किया कि मोदी को भी हराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि साल 2014 में पूरे देश में बीजेपी को 31 फीसदी वोट मिले थे और 2019 के लोकसभा चुनाव में 38 फीसदी। पीके का कहना है कि एक बार 260 और फिर 300 के आसपास सीट बीजेपी लोकसभा में जीती है, लेकिन वहां 540 सीटें हैं।
मोदी के खिलाफ विपक्ष की जीत के सपने के बारे में पीके ने अजब तर्क भी दिए। उन्होंने कहा कि मोदी 2014 में जीते। फिर 2016 में असम जीत सके। इस बीच, बीजेपी बहुत अच्छा नहीं कर सकी। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि जब कोई पार्टी बड़ी हो जाती है और 30 फीसदी से ज्यादा वोट उसे मिलते हैं, तो आप कई साल तक उसके बने रहने की उम्मीद कर सकते हैं। यानी कुल मिलाकर प्रशांत किशोर को लगता है कि मोदी को हटाकर सत्ता हासिल करने का विपक्षी नेताओं का ख्वाब फिलहाल पूरा नहीं होने जा रहा है।