नई दिल्ली। बीते दिनों विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने कहा कि भारत में कोरोना की बीमारी अब एंडेमिक स्टेज की तरफ जा रही है। जबकि, 2020 में इसे संगठन ने पैंडेमिक बताया था। आखिर पैंडेमिक और एंडेमिक में अंतर क्या है ? क्या अब कोरोना एक महामारी से आम बीमारी हो जाएगा ? आइए आपको बताते हैं इन सवालों का जवाब। पैंडेमिक और एंडेमिक से पहले मेडिसिन की भाषा में महामारी के लिए एक शब्द और होता है। यह शब्द है आउटब्रेक। आउटब्रेक यानी फूटना। जब महामारी अचानक लोगों को गिरफ्त में लेने लगती है, तो कहा जाता है कि फलां महामारी का आउटब्रेक हुआ है। यह आउटब्रेक ज्यादातर किसी एक खास हिस्से में होती है। इसके बाद जब बीमारी किसी खास जगह से फैलने लगती है, तो इसे पैंडेमिक कहा जाता है। इसे हम इससे समझ सकते हैं कि जब 2019 में चीन के वुहान में कोरोना वायरस के केस आने शुरू हुए थे, तो यह आउटब्रेक था। जब 2020 में ये दूसरे इलाकों में फैला, तो इसे डब्ल्यूएचओ ने पैंडेमिक बताया। अब जबकि, कोरोना वायरस दुनिया के सभी देशों में फैला है, तो इसे एंडेमिक कहा जा रहा है।
अब सवाल ये है कि एंडेमिक स्टेज के बाद महामारी का आखिर होता क्या है ? जवाब ये है कि जब ज्यादातर लोगों को वायरस अपनी गिरफ्त में ले लेता है, तो एक वक्त के बाद वायरस कमजोर पड़ने लगता है। कमजोर पड़ने के साथ ही वायरस एक दिन आम बीमारी में बदल जाता है। जैसे, फ्लू की बीमारी। फ्लू ने बतौर महामारी 1918 में पूरी दुनिया में फैली थी। इससे उस वक्त करीब 5 करोड़ लोगों की जान गई थी। अब ये फ्लू आम बीमारी हो गई है। कम ही ऐसे मौके आते हैं, जब फ्लू से किसी की जान जाती हो।
ठीक इसी तरह उम्मीद की जा रही है कि एक दिन कोरोना वायरस भी फ्लू की तरह ही आम बीमारी जैसा हो जाएगा। यानी लोग इससे बीमार तो पड़ेंगे, लेकिन उनकी मौत होने की आशंका बहुत कम होगी। एंडेमिक स्टेज इसी वजह से राहत का संकेत देता है, लेकिन फिर भी इस वायरस को हल्के में मत लीजिए। दो गज की दूरी बनाकर रखिए, हाथों को सैनेटाइज करते रहिए और बाकी कोरोना प्रोटोकॉल का पालन जरूर कीजिए।