वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद के एएसआई सर्वे को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी है। ज्ञानवापी मस्जिद में तोड़फोड़ या खोदाई किए बगैर यंत्रों के जरिए सर्वे किया जाना है। ये मामला साल 1669 में मुगल बादशाह औरंगजेब के शासनकाल में मंदिरों के ध्वस्तीकरण के बाद से गरमाया। हिंदू पक्ष का दावा है कि 1669 में औरंगजेब की तरफ से वाराणसी (काशी) में आदि विश्वेश्वर मंदिर को ढहाकर वहां ज्ञानवापी मस्जिद तामीर कराई गई। हिंदू पक्ष की 5 महिलाओं ने ज्ञानवापी परिसर में माता शृंगार गौरी की रोज पूजा-अर्चना करने देने की याचिका कोर्ट में दी है। एएसआई सर्वे का आदेश इसी याचिका पर दिया गया है।
5 हिंदू महिलाओं ने साल 2021 के अगस्त में वाराणसी के सीनियर डिवीजन सिविल जज रहे रवि कुमार दिवाकर के कोर्ट में शृंगार गौरी के रोज पूजा की मंजूरी देने की अर्जी दी थी। इस पर जज रवि कुमार दिवाकर ने पिछले साल ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एडवोकेट कमिश्नर सर्वे कराया था। 3 दिन तक चले सर्वे में मस्जिद में प्राचीन हिंदू मंदिर के तमाम चिन्ह होने की बात कही गई थी। हिंदू पक्ष ने ये दावा भी किया कि ज्ञानवापी के वजूखाने में शिवलिंग मिला है। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि वजूखाने में शिवलिंग नहीं, फव्वारा है। फिलहाल यहां वजू पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है। एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे के बाद सीनियर डिवीजन सिविल जज ने पूरे ज्ञानवापी परिसर को सील करने का आदेश दिया था। इस पर मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत मस्जिद संबंधी सिविल वाद पोषणीय नहीं है। इस एक्ट के तहत सभी धार्मिक स्थलों को आजादी के वक्त यानी 1947 वाली स्थिति में रखने को कहा गया है।
वहीं, हिंदू पक्ष ने कहा था कि इसमें एक्ट लागू नहीं होता, क्योंकि सिर्फ पूजा करने की मंजूरी मांगी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने फिर ये मामला वाराणसी के जिला जज को भेजा था। जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने सुनवाई के बाद ज्ञानवापी मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट लागू न होने का फैसला सुनाया था। मई 2023 में हिंदू महिलाओं ने जिला जज के कोर्ट से ज्ञानवापी के विवादित हिस्से को छोड़ बाकी परिसर का एएसआई सर्वे कराने की अपील की थी। जिसपर जिला जज ने एएसआई सर्वे का आदेश 21 जुलाई को दिया। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट गया। जहां से सर्वे पर फैसला लेने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से कहा गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने सर्वे को शर्तों के साथ जारी रखने का फैसला सुनाया है।