नई दिल्ली। आंखों में अश्कों का दरिया बह रहा है…दिल में गमों का गुबार फूट रहा है…यह कैसा मंजर है…कैसा आलम है…लोगों की आमद से गुलजार ये गलियां आज मायूसी के चादर में लिपटी है…पूरा देश गमजदा हैं…देश पूछ रहा है कि आखिर इतनी जल्दी क्या थी रावत साहब आपको जाने की…अभी तो आपके कांधे पर कई जिम्मेदारियां थी..आखिर इतनी भी क्या जल्दी थी किसी दूसरे के कांधे की मदद लेने की…आप बहुत याद आएंगे रावत साहब.. हम आपको नहीं भूला पाएंगे…ये देश आपको नहीं भूल पाएगा…आने वाली नस्ले आपको याद रखेंगी…रावत साहब…बहुत तकलीफ होती है ये जानकर कि कुन्नूर का सफर आपके लिए आखिरी सफर साबित हुआ…पूरे देश को आप पर नाज है था और रहेगा… हेलीकॉप्टर क्रैश होने के बाद आखिरी सांस से तक जिंदगी और मौत के बीच आप जंग लड़ते रहे…आपके साथ आपकी पत्नी भी थी…वो भी किसी वीरांगना से कम नहीं थीं।
यूं तो दुनिया के हर पति-पत्नी साथ जीने मरने की कसमे खाते हैं, लेकिन उनमे से विरले ही इसे अपनी जिंदगी में चरितार्थ कर पाते हैं। रावत आप उन्हीं में से हैं जिन्होंने इसे अपनी जिंदगी में चरितार्थ कर दिखाया है। सीडीएस जनरल बिपिन रावत…ये महज एक नाम नहीं है…ये इतिहास है…जिसे आने वाली हर नस्ले पढ़ेंगी। ये वो वर्तमान है जिसने पूरे देश को गमजदा कर दिया है… ये वो भविष्य है, जो हमारे देश की आने वाली हर पीढ़ी को प्रेरित करती रहेगी।
रावत साहब आपको कैसे बताए कि आपके बिना ये देश कैसा महसूस कर रहा है…रावत साहब आपको कैसे बताए पूरा देश उस मनहूस पल को कोस रहा है…जब आपके जाने की खबर लगी…जब मीडिया की दुनिया में आपने निधन की सुर्खियों बनने लगी…जब लोग आपको निधन की खबर लगते ही आपके श्रद्धांजली देने के लिए ट्वीट करने लगे…रावत साहब…पूरा देश उन पलों को कोस रहा है…देश कह रहा है कि आखिर कौन-सा वो पल था…जब आप कुन्नूर के लिए रवाना हुए थे…काश आप कुन्नूर के लिए रवाना न हुए होते…तो आज आप हमारे बीच में होते..आपके बिना इस देश का दिल बहुत कचोट रहा है। यह सोचकर ही रूह कांप जाती है कि आखिर वो मंजर कैसा होगा, जब आपने और आपकी पत्नी ने मौत को अपने करीब आते देखा होगा। शायद आपने अपनी पत्नी की आंखों में आंखे डालकर आखिरी मर्तबा एक दूसरे को जी भर के दीदार करने की आरजू जाहिर की होगी। शायद मौत को करीब आते देख आपने एक दूसरे को अपनी आगोश लपेट लिया होगा। यकीनन रावत साहब आप और आपकी पत्नी बहुत बहादुर थे। आखिरी सांस आप दोनों ने मौत का सामना किया।
रावत साहब आपकी अर्धांगिनी भी किसी वीरांगना से कम नहीं थीं.. मरने तक आपने एक दूसरे का साथ निभाया…यह अपने आप में दिल पसीज देने वाला है…एक फौजी की पत्नी हर तीज त्योहार पर अपने पति के दीर्घायु होने की दुआ मांगती है…हर जुबां पर हमेशा अपने पति की सलामती की आरजू ही लिपटी रहती है..लेकिन जिस तरह से आपने आखिरी सांस तक एक दूसरे का साथ निभाया उसे हर आने वाली हर नस्ले याद रखेगी। आप बहुत याद आएंगे रावत साहब…!