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Gita Press Award Controversy: गीता प्रेस का विरोध करने वाली कांग्रेस पर बरसी BJP, सुधांशु त्रिवेदी ने दिया मुंहतोड़ जवाब

Gita Press Award Controversy: हालांकि गीता प्रेस को सम्मान दिए को लेकर कांग्रेस में दो फांड होते दिखाई दे रही है। कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपनी ही पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने जयराम रमेश के बयान की आलोचना की है। इसी बीच मंगलवार को भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेस कर कांग्रेस को मुंहतोड़ जवाब दिया है।

नई दिल्ली। गीता प्रेस को साल 2021 का गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के ऐलान के बाद से देश में सियासत तेज हो गई है। गीता प्रेस को सम्मान के ऐलान पर कांग्रेस पार्टी परेशान दिखाई दे रही है। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने पर सवाल उठा दिए है। कांग्रेस ने राजनीतिक हमले शुरू कर दिए है। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने भी तर्क के साथ कांग्रेस को जवाब देने के लिए मैदान में आ गई। बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार के लिए चुने जाने को लेकर केंद्र सरकार के फैसले पर एक विवादित ट्वीट किया है। जयराम रमेश लिखा था कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देने का फैसला असल में गोडसे और सावरकर को देने जैसा है। हालांकि गीता प्रेस को सम्मान दिए को लेकर कांग्रेस में दो फांड होते दिखाई दे रही है। कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपनी ही पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने जयराम रमेश के बयान की आलोचना की है। इसी बीच मंगलवार को भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेस कर कांग्रेस को मुंहतोड़ जवाब दिया है।

BJP का कांग्रेस को जवाब

सुधांश त्रिवेदी ने कांग्रेस की क्लास लगाते हुए कहा, ”मुस्लिम लीग बिल्कुल धर्मनिरपेक्ष है और RSS सांप्रदायिक आज का एजेंडा नहीं है, यह एक एजेंडा है जो नेहरू जी के जमाने का है। ये विचार जो है वो खानदानी है, ये सोच उनकी रूहानी है। इसलिए मैं पुन: कहना चाहता हूं कि गीता प्रेस, गोरखपुर के मुद्दे पर जिस प्रकार का चरित्र कांग्रेस ने दिखाया है, यह उनकी भारत, भारतीय संस्कृति, हिंदू धर्म और स्वयं महात्मा गांधी के आदर्शों के प्रति अवमानना का स्पष्ट प्रमाण है।”

गीता प्रेस के विरोध पर सीएम शिवराज सिंह का रिएक्शन

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने गीता प्रेस का बहुत सम्मान करता हूं, अगर गीता प्रेस नहीं होती। तो शायद कही धर्मग्रंथ लोगों तक नहीं पहुंचते। गीता प्रेस को सम्मान देने का विरोध करना ये हमारी संस्कृति, परंपराओं, जीवन मूल्यों एवं हमारे धर्म का अपमान है। ये जनता सहन नहीं करेगी।