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सोनिया गांधी से मिले आजाद, जी-23 समूह के बारे में कही ये बात, बताई हार की असल वजह

हालांकि, यह वार्ता किन मसलों को लेकर हुई थी। यह अभी साफ नहीं हो पाया है। बहरहाल, बैठक के उपरांत जिस तरह का बयान गुलाम नबी आजाद ने दिया है, उससे यह साफ जाहिर होता है कि पार्टी नेताओं के बीच बैठक काफी सार्थक रही है। बता दें कि पांच सूबों में हुई करारी शिकस्त के बाद से देश की सबसे पुरानी पार्टी में हाहाकार जैसा आलम है।

नई दिल्ली। विगत दिनों उत्तर प्रदेश समेत पांचों राज्यों के विधानसभा चुनाव में हुई कांग्रेस की दुर्गति के बाद से पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच शुरू हुआ मुलाकातों और बैठकों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पांचों सूबों में हुई करारी हार से मचे हाहाकार के बीच पार्टी नेताओं के बीच हार की वजह से तलाशने के लिए मुलाकातों का दौर जारी है। इस बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता और जी-23 समूह के रहनुमान माने जाने वाले गुलाम नबी आजादी ने आज यानी की शुक्रवार को 10 जनपथ पहुंचकर पार्टी की अंतरिम अधयक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि मुलाकात के दौरान उन्होंने पांचों सूबों में हुई पार्टी की करारी हार को लेकर चर्चा परिचर्चा की।
गुलाम नबी आजाद

बता दें कि इससे पहले गुलाम नबी आजादी पार्टी ने वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह से मुखातिब होने पहुंचे थे और मुलाकात के दौरान उन्होंने कर्ण को होली की शुभकामनाएं भी दी थी। ध्यान रहे कि मुलाकात के बीद हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में पांचों सूबों में हुई करारी हार की वजह को लेकर सुझाव मांगें गए थे। वहीं, सोनिया गांधी के साथ हुई बैठक के उपरांत गुलाम नबी आजादी ने कहा कि उनके साथ अच्छी बैठक हुई है। हालिया विधानसभा चुनाव में हुई हार और पार्टी की मौजूदा स्थिति समेत कई मसलों को लेकर उनके साथ बैठक काफी सार्थक रही है। अब जरूरी है कि जिन मुद्दों लेकर बैठक हुई है, उसे जमीन पर उतारने की दिशा में काम किया जाए। बता दें कि दोनों ही नेताओं के बीच तकरीबन 45 मिनट तक बैठक हुई। वहीं, बैठक से पहले सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आजाद से दो मर्तबा फोन पर बात की थी।

हालांकि, यह वार्ता किन मसलों को लेकर हुई थी। यह अभी साफ नहीं हो पाया है। बहरहाल, बैठक के उपरांत जिस तरह का बयान गुलाम नबी आजाद ने दिया है, उससे यह साफ जाहिर होता है कि पार्टी नेताओं के बीच बैठक काफी सार्थक रही है। बता दें कि पांच सूबों में हुई करारी शिकस्त के बाद से देश की सबसे पुरानी पार्टी में हाहाकार जैसा आलम है। इससे पहले हार को लेकर कांग्रेस कार्य समिति की बैठक हुई थी, जिसमें पांचों सूबों में पार्टी की स्थिति को लेकर चर्चा हुई थी। बैठक में कांग्रेस की कमान गैर गांधी परिवार के हाथों सौंपे की मांग की गई थी। जिसका पार्टी के कुछ नेताओं  ने विरोध किया था। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर अधीर रंजन चौधरी ने पार्टी की कमान गैर गांधी परिवार से अलहदा करने के विचारों का सिरे खारिज करते हुए इसे बीजेपी का  साजिश तक करार दिया था। गहलोत ने तो यहां तक कह दिया था कि बीजेपी इस बात से भलीभांति परिचित है कि अगर देश की सबसे पुरानी पार्टी को कमजोर करना है, तो उसके लिए हमें गांधी परिवार के हाथों से परिवार की कमान वापस लेनी होगी।