नई दिल्ली। क्या संसद में अडानी मसले पर विपक्षी एकता की हवा निकल रही है? ये सवाल इसलिए कि आज संसद भवन में अडानी मामले में रणनीति बनाने के लिए विपक्ष की बैठक बुलाई गई थी। न्यूज चैनल आजतक के मुताबिक इस बैठक में सिर्फ 14 विपक्षी दलों के प्रतिनिधि ही शामिल हुए। जबकि, बीते दिनों विपक्ष की इसी मुद्दे पर हुई बैठक में 16 विपक्षी दलों के प्रतिनिधि इकट्ठा हुए थे। अडानी मामले में सबसे मुखर कांग्रेस है। कांग्रेस के अलावा एनसीपी, आम आदमी पार्टी (आप), वामदल वगैरा मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर जेपीसी बनाने की मांग कर रहे हैं। जबकि, ममता बनर्जी की टीएमसी समेत कई और विपक्षी दल इन बैठकों से अलग रहे हैं।
विपक्षी पार्टियो की बैठक राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिक़ार्ज़ून खरगे के संसद कार्यालय में शुरू… pic.twitter.com/ybTZoFvgkS
— रंजीता झा डडवाल Ranjeeta Jha Dadwal (@ranjeetadadwal) March 23, 2023
उधर, विपक्षी दलों की अडानी मुद्दा उठाकर मोदी सरकार को घेरने की रणनीति के बीच केंद्र सरकार ने संसद से बजट को पास कराने का फैसला कर लिया है। बीजेपी की तरफ से आज लोकसभा में अपने सांसदों को मौजूद रहने का व्हिप जारी किया गया है। बजट को सिर्फ लोकसभा से ही पास कराना जरूरी होता है। लोकसभा में खुद बीजेपी के पास 303 सांसद हैं। संसद के बजट सत्र का दूसरा दौर शुरू होने के बाद से हर रोज अडानी के मसले पर विपक्ष हंगामा कर रहा है। इस वजह से संसद की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ रही है।
संसद में बजट सत्र का दूसरा चरण 6 अप्रैल तक चलना है। मोदी सरकार का इरादा इस दौरान कई बिल भी पास कराने का था, लेकिन विपक्ष के हंगामे की वजह से बजट पास कराना भी मुश्किल हो गया। अब चर्चा इसकी भी है कि बजट पास कराने के बाद संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए खत्म की जा सकती है। अगर ऐसा होता है, तो अडानी मसले पर जेपीसी की मांग कर रही कांग्रेस और विपक्ष को कुछ भी हासिल नहीं होगा। इसके बाद संसद का अगला सत्र मॉनसून के दौरान होगा।