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SC Hearing on Maharashtra Tussle: शिवसेना पर किसका है हक? उद्धव या शिंदे? ठाकरे को लग सकता है एक और झटका, क्योंकि….

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में छिड़े सियासी संग्राम में अब सुप्रीम कोर्ट की भी एंट्री हो चुकी है। अब महाराष्ट्र की सियासी जंग इस बात को लेकर है कि आखिर शिवसेना का असली सर्वेसर्वा कौन है? शिवसेना पर असली हक किसका है? जहां एक तरफ उद्धव गुट  शिवसेना पर अपना दावा ठोक रही है, तो वहीं …

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में छिड़े सियासी संग्राम में अब सुप्रीम कोर्ट की भी एंट्री हो चुकी है। अब महाराष्ट्र की सियासी जंग इस बात को लेकर है कि आखिर शिवसेना का असली सर्वेसर्वा कौन है? शिवसेना पर असली हक किसका है? जहां एक तरफ उद्धव गुट  शिवसेना पर अपना दावा ठोक रही है, तो वहीं दूसरी तरफ शिंदे बालासाहेब ठाकरे के विचारों का खुद को पहरेदारा बताते हुए शिवसेना पर अपना मालिकाना हक जता रही है। वहीं, अब महाराष्ट्र की सियासी रार में सुप्रीम कोर्ट कोच की भूमिका में नजर आ रहा है। बीते दिनों महाराष्ट्र के सियासी संग्राम को लेकर कोर्ट में सुनवाई हुई थी, लेकिन कोई सार्थक फैसला नहीं आ पाया था। आज फिर में सुनवाई हुई है। आइए, आगे कि रिपोर्ट में आपको विस्तार से बताते हैं कि सुनवाई के दौरान क्या कुछ हुआ।

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सुप्रीम कोर्ट में क्या कुछ हुआ

आपको बता दें कि उद्धव गुट की ओर से पक्ष रखने के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि सैद्धांतिक तौर पर शिवसेना पर अगर किसी का हक है, तो वो कोई और नहीं, बल्कि उद्धव ठाकरे ही हैं और रही बात शिंदे गुट की तो जैस ही उन्होंने शिवसेना के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंका, तो उन्हें कायदे से खुद की अलग पार्टी बनानी चाहिए थी या नहीं तो बीजेपी में खुद का विलय करा लेना चाहिए थी, लेकिन कायदे के हिसाब से शिंदे गुट ने दोनों में से कुछ भी नहीं किया। इसके विपरीत शिंदे गुट लगातार खुद को असली शिवसैनिक बताकर शिवसेना पर अपना दावा ठोंक रहे हैं, जो कि पूर्णत: अनुचित है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। वहीं, इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सीजेआई ने कहा  कि इस तरह से विधायक का कोई मतलब नहीं रह जाएगा,  जिसके मन में जो आएगा, वो वही करने पर आमादा हो जाएगा। सिब्बल ने कहा कि शिवसेना के खिलाफ बगावत का बिगुल  फूंकने वाले विधायकों को अयोग्य ठहरा दिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि शिंदे गुट ने कभी-भी पार्टी  के किसी भी बैठक में हिस्सा लेना जरूरी नहीं समझा। इसके साथ ही उद्धव गुट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इन लोगों को किसी दूसरी पार्टी या बीजेपी में विलय कर लेना चाहिए था या फिर किसी दूसरी पार्टी का गठन करना चाहिए था, लेकिन अफसोस इन्होंने ऐसा नहीं किया।  अब अपनी गलती पर पर्दा डालने के  लिए  चुनाव आयोग पर  पर्दा डाल रहे हैं।

इसके जवाब में शिंदे गुट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि किसी भी नेता को  ही पार्टी मान लिया जाता है, लेकिन सैद्धांतिक रूप से ऐसा नहीं होता है और ना ऐसा होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि हम अभी पार्टी में हैं। हमने पार्टी नहीं छोड़ी है। सिर्फ और सिर्फ पार्टी के खिलाफ आवाज उठाई है। हमने पार्टी के खिलाफ नहीं, बल्कि किसी नेता के खिलाफ आवाज उठाई है। हमने पार्टी नहीं छोड़ी है। आप इतना जरूर कह सकते हैं कि पार्टी अब दो फाड़ हो चुकी है। उन्होंने आगे कहा कि ऐसा अतीत में कांग्रेस के साथ भी हो चुका है। पार्टी कई मर्तबा दो फाड़ हुई है। इसे आप विधायकों अयोग्यता नहीं  जोड़ सकते हैं। इसमें मुख्य चुनाव आयोग निभाता है।

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बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र के सियासी संग्राम को लेकर विगत 20 जुलाई को सुनवाई हो चुकी है। आज फिर सुनवाई हुई। अब फिर कल यानी की गुरुवार को सुनवाई होगी। ऐसे में यह देखना होगा कि आगामी दिनों में महाराष्ट्र का सियासी संग्राम क्या कुछ रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। गौरतलब है कि बीते दिनों  शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे  शिवसेना के कार्यकारिणी का गठन किया था, जिसमें उन्होंने अपने करीबी नेताओं को विशेष तरजीह देते हुए जगह  दे थी और उद्धव ठाकरे के करीबियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था , लेकिन अब जिस तरह से महाराष्ट्र के  सियासी संग्राम में सुप्रीम कोर्ट की एंट्री हो चुकी है। ऐसे में आगामी दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति क्या रुख अख्तियार करती है। इस पर सभी की निगाहें  टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए आप पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम