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Hindi Controversy : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री Stalin ने पीएम मोदी के नाम लिखा पत्र, कहा- ‘हिंदी थोपना लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है’

Hindi Controversy : मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा, यह भी सिफारिश की गई है कि युवा कुछ नौकरियों के लिए केवल तभी पात्र होंगे जब उन्होंने हिंदी का अध्ययन किया हो। तमिलनाडु के सीएम ने कहा ये सभी संघीय सिद्धांतों के खिलाफ हैं।

नई दिल्ली। दक्षिण भारत में मातृभाषा हिंदी को लेकर एक लंबे वक्त से विवाद की स्थिति बनी हुई है। दक्षिण भारतीय राजनेता हिंदी को अपने ऊपर तो पर जाने का केंद्र सरकार के ऊपर आरोप लगाते हैं। वहीं केंद्र सरकार हिंदी भाषा का बचाव करती हुई नजर आती है। इस बीच तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाने के लिए एक संसदीय समिति की कथित सिफारिश के खिलाफ पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने पत्र में, स्टालिन ने कहा, “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली समिति ने सिफारिश की है कि हिंदी को केंद्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षा का अनिवार्य माध्यम होना चाहिए।

इसमें यह सिफारिश भी शामिल है कि केंद्रीय विद्यालयों सहित सभी तकनीकी, गैर-तकनीकी संस्थानों और केंद्र सरकार के सभी संस्थानों में हिंदी को शिक्षा का माध्यम बनाया जाए। इस विषय पर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा, यह भी सिफारिश की गई है कि युवा कुछ नौकरियों के लिए केवल तभी पात्र होंगे जब उन्होंने हिंदी का अध्ययन किया हो। तमिलनाडु के सीएम ने कहा ये सभी संघीय सिद्धांतों के खिलाफ हैं। और ये सिर्फ हमारे संविधान और केवल हमारे राष्ट्र के बहुभाषी ताने-बाने को नुकसान पहुंचाएगा। द्रमुक प्रमुख ने आगे कहा कि भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में तमिल सहित 22 भाषाएं हैं।

इसके अलावा कई मांगें हैं कि इस तालिका में कुछ और भाषाओं को भी शामिल किया जाए। स्टालिन ने कहा कि हिंदी के अलावा अन्य भाषा बोलने वाले लोगों की संख्या भारतीय संघ में हिंदी भाषी लोगों की तुलना में अधिक है। “मुझे यकीन है कि आप इस बात की सराहना करेंगे कि प्रत्येक भाषा की अपनी विशिष्टता और भाषाई संस्कृति के साथ अपनी विशेषता है। गौरतलब है कि दक्षिण भारतीय अभिनेता भी कई बार हिंदी भाषा को उनके ऊपर से थोपे जाने का आरोप लगा चुके हैं। साथ ही साथ एक लंबे वक्त तक सोशल मीडिया पर हिंदी को मातृभाषा बनाए जाने के संबंध में एक लंबी बहस छिड़ी रही थी।