नई दिल्ली/वाराणसी। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष भड़क गया। ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन मसाजिद इंतजामिया कमेटी के वकील ने तो सबको बिका हुआ बता दिया। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ‘हिंदू कट्टरपंथी’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए इस फैसले पर अपनी नाखुशी जाहिर की। पहले आपको बताते हैं कि मसाजिद कमेटी के वकील मेराजुद्दीन सिद्दीकी ने क्या कहा। मेराजुद्दीन ने फैसले के बाद कहा कि हमारी तरफ से कहा गया था कि ये केस यहां नहीं सुना जाना चाहिए। हमारी पिटिशन खारिज कर दी गई। हम हाईकोर्ट जाएंगे और अपील करेंगे।
इसके बाद वो बोले कि अगर संसद के फैसले को नहीं माना जाए, तो समझ सकते हैं कि न्यायपालिका आपकी है। उसके बाद ऑर्डर नहीं मानेंगे। फिर कहेंगे कि बिक जाओ हमारे हाथ। बिक गई। उनका फैसला ऑर्डर ही ऐसा है। उनका ये ऑर्डर न्यायोचित नहीं लग रहा है। उस एप्लीकेशन पर जो भी ऑर्डर किया है, वो न्यायोचित और न्याय संगत नहीं है। मेराजुद्दीन सिद्दीकी का ये बयान काफी चर्चा में रहा। वहीं, इस मामले में पर्सनल लॉ बोर्ड एक और कदम बढ़ गया। बोर्ड ने हिंदू चरमपंथ की बात कह दी। बोर्ड के महासचिव खालिद सैफुल्लाह रहमानी की तरफ से जारी बयान में कोर्ट के फैसले को निराशाजनक और दुखदायी बताया गया। इसमें ये भी कहा गया कि कोर्ट ने शुरू में हिंदू चरमपंथी दावे को स्वीकार कर लिया।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में वाराणसी जिला कोर्ट जज का फैसला निराशाजनक और दुःखदायी है: महासचिव बोर्ड#GyanvapiMasjid #GyanvapiVerdict pic.twitter.com/5B8NHFGXsz
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) September 12, 2022
बता दें कि वाराणसी के जिला जज ने ज्ञानवापी मस्जिद में पूजा-अर्चना की हिंदू पक्ष की अर्जी की पोषणीयता मंजूर कर ली है। जिला जज ने सोमवार को अपने आदेश में कहा था कि मुस्लिम पक्ष ने काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट, वक्फ एक्ट और प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत हिंदू पक्ष की अर्जी का विरोध किया, लेकिन ये तीनों ही कानून इस मामले में लागू नहीं होते। इस मामले में जिला जज ने सुनवाई की अगली तारीख 22 सितंबर तय की है, लेकिन मुस्लिम पक्ष अगर हाईकोर्ट जाता है और वहां से स्टे ले आता है, तो फिर उस दिन सुनवाई नहीं हो सकेगी। कुल मिलाकर मामला अभी से लंबा खिंचता हुआ नजर आ रहा है।