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Sharad Pawar: ‘मैं टायर या रिटायर नहीं, बल्कि फायर हूं’, शरद पवार की अपने भतीजे अजित को दो टूक, जानें क्या कहा?

Sharad Pawar: शरद पवार ने कहा कि मोराजी देसाई कितने साल की उम्र में प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि, मैं किसी पद काबिज नहीं होना चाहता हूं। मैं सिर्फ जनता की सेवा करना चाहता हूं और महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश की जनता मेरे साथ है।

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब राकांपा प्रमुख शरद पवार ने मन बन लिया है कि वो अजित पवार के बगावती रूख के आगे झुकने वाले नहीं हैं। उन्होंने आज मीडिया से बातचीत के दौरान स्पष्ट कर दिया है कि वे ना ही रिटायर हैं, ना ही टायर हैं, बल्कि फायर हैं। बता दें कि उन्होंने यह बयान अजित पवार के उस वक्तव्य के बाद दिया है, जिसमें उन्होंने अपने चाचा शरद पवार को राजनीति से निष्क्रिय ( संन्यास )हो जाने का सुझाव दिया था। उन्होंने बीजेपी में चली आ रही परिपाटी का हवाला देते हुए कहा था कि वहां ( बीजेपी )74 साल की उम्र के बाद नेता राजनीति से संन्यास ले लेते हैं, लेकिन आप तो अभी तक राजनीति में बने हुए हैं। अब आपको भी राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए और बाहर से ही हम सभी पर आशीर्वाद बनाकर रखना चाहिए। बता दें कि उनके इस बयान के बाद आज शरद पवार ने मीडिया के बातचीत के दौरान यह बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि ना ही मैं रिटायर हूं, और ना ही टायर, बल्कि मैं तो फायर हूं। उनके इस बयान के अब कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।

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शरद पवार ने कहा कि मोराजी देसाई कितने साल की उम्र में प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि, मैं किसी पद पर काबिज नहीं होना चाहता हूं। मैं सिर्फ जनता की सेवा करना चाहता हूं और महाराष्ट्र ही नहीं, बल्कि पूरे देश की जनता मेरे साथ है। ध्यान दें कि एक दिन पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व वर्तमान में डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि शरद पवार इस मुश्किल घड़ी में अपनी उम्र उजागर करके लोगों से सहानुभूति प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, मैं चाहता हूं कि वो 100 वर्ष तक राजनीति में सक्रिय रहें और महाराष्ट्र की जनता की सेवा करते रहे।

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इस दौरान फडणवीस ने शिवसेना प्रमुख व पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उथल-पुथल का जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि अगर 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी विचारधारा को तिलांजलि देकर राकांपा और कांग्रेस से हाथ ना मिलाया होता, तो आज ऐसी नौबत ही नहीं आती। ध्यान दें कि बीते रविवार को जब अजित पवार अपने 8 विधायकों के साथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे, तो यह सवाल भी उठे थे कि क्या महाविकास अघाड़ी खत्म हो जाएगी? लेकिन, बाद में उद्धव ठाकरे ने मीडिया से बातचीत के दौरान स्पष्ट कर दिया था कि इस गठबंधन में किसी भी प्रकार की फूट नहीं पड़ेगी। बहरहाल, महाराष्ट्र में अभी राजनीतिक घमासान का सिलसिला जारी है। अब यह घमासान आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है।