नई दिल्ली। यूं तो हमारे समाज में बेशुमार विवादों का दबदबा है। इन विवादों की गंभीरता का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि इनका समाधान अब तक नहीं हो पाया है, जिसकी वजह से कई मौकों पर तनाव देखा गया है। लेकिन आज हम आपको जिस मामले के बारे में बताने जा रहे हैं, वो भी गंभीर बन सकता था, तनाव व वैमनस्यता का रूख अख्तियार कर सकता था, लेकिन इस मसले की सबसे खास बात यह रही है कि इसमें हठ व गुमान को परे रखकर हालातों को समझते हुए संतुलित कदम उठाया गया। जिसकी वजह से इस पूरे माजरे में अहम किरदार अदा करने वाले शख्स की चौतरफा तारीफ हो रही है। आइए, हम आपको इस पूरे माजरे के बारे में तफसील से बताते हैं।
… तो ऐसा है पूरा माजरा
..तो आपको बताते चले कि यह पूरा मामला पश्चिम बंगाल के जपाईगुड्डी का है, जहां एक मस्जिद में रोजाना आने वाली अजान की आवाज से जहां आस पड़ोस के लोगों को परेशानी होती थी, तो वहीं स्कूल में पढ़ रहे बच्चों को भी परेशानी होती थी, लेकिन मसला मजहबी होने की वजह से कोई भी अपनी बेबाकी दिखाने से गुरेज ही करना मुनासिब समझता था। और वैसे भी मजहबी मसलों को विवादों के दर पर दस्तक में देर नहीं लगती है। लिहाजा लोगों ने हमेशा कुछ भी कहने से गुरेज ही किया, लेकिन यहां सबसे खास बात यह रही है कि मस्जिद के इमाम ने खुद ही लोगों की समस्याओं को समझा। उन्होंने अजान से लोगों को हो रही परेशानियों को ध्यान से देखा। स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की समस्याओं को देखते हुए उन्होंने खुद माइक से अजान न देने का फैसला किया, ताकि किसी को भी परेशानी न हो। वहीं, जैसे ही लोगों को इमाम के इस फैसले के बारे में पता लगा, तो लोगों ने इमाम के नाम तारीफों के कसीदे पढ़ने में देरी नहीं की। लोगों ने उन्हें सामाजिक समरसता का प्रतीक बताया।
WB | A mosque in Jalpaiguri isn’t using loudspeakers for namaz to avoid disturbance in studies of students of a school, during COVID
We’re offering namaz without loudspeakers for noise-free classes on our premises. Can’t develop the nation without education: Najimul Haque, Imam pic.twitter.com/wXJXrEwwPn
— ANI (@ANI) December 11, 2021
वहीं, स्कूल के शिक्षकों ने इमाम के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि माइक से अजान न करने का फैसले स्वागतयोग्य है। कोरोना के चलते काफी लंबे समय के बाद बच्चे स्कूल में पढ़ने आए हैं। वैसे ही उनकी पढ़ाई को बहुत नुकसान हो चुका हो। लिहाजा बच्चों की पढ़ाई को कोई नुकसान न पहुंचे उसे देखते हए यह कदम स्वागत किया। वहीं, सोशल मीडिया सहित अन्य मंचों पर लोग इस फैसले को लेकर उनकी तारीफ कर रहे हैं। अब उनके नाम के तारीफों के कसीदे पढ़ना लाजिमी है। वो भी ऐसे आलम में जब आमतौर पर ऐसे मजहबी मसलों को विवादों के भेंट चढ़ने में देरी नहीं लगती है। इससे पहले भी कई लोग माइक से अजान पढ़ने को लेकर होने वाली परेशानी का जिक्र कर चुके हैं, जिसमें मशहूर गीतकार सोनू निगम से लेकर दूसरे लोग भी शामिल हैं, लेकिन आमतौर पर जब कभी-भी इस तरह के मामले में उठाए जाते हैं, तो सामाजिक तनाव का खतरा हमेशा बना रहता है, लेकिन इस मामले ने उन सभी लोगों को बड़ी सीख दी है, जो बस इस फिराक में बैठे ऱहते हैं कि कब कोई मजहबी विवाद पैदा हो, ताकि नफरती बयानबजी करके अपनी झोली में वोट बटोरे जा सकें। काश ऐसी ही पहल अन्य लोगों की तरफ से भी की जाए, तो मजहबी विवादों का अध्याय खुद व खुद हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।