नई दिल्ली। मोदी सरनेम टिप्पणी मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को कोई राहत नहीं मिल पा रही है। अभी एक दिन पहले ही गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल को इस मामले में किसी भी प्रकार की छूट देने से इनकार कर दिया है। वहीं कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब इस मामले की सुनवाई गीष्मकालीन अवकास के बाद ही किया जाएगा। हालांकि, इस बीच राहुल की पैरवी कर रहे वरिष्ठ नेता व अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोर्ट अभी तक किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंची है, जिसकी वजह से राहुल लोगों के बीच संवाद स्थापित नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन कोर्ट ने उनकी किसी भी गुहार पर ध्यान नहीं दिया है। बहरहाल, अब राहुल इस पचड़े से बाहर निकलने के लिए क्या कुछ कदम उठाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन उससे पहले आपको बता दें कि उन्हें मोदी सरनेम मामले में ही रांची की एमपी/एमएल कोर्ट ने बड़ा झटका दे दिया है। आइए, आगे आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
आपको बता दें कि रांची में मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मामला दर्ज है, जिसमें उन्हें कोर्ट में पेश होना है। इसी बीच उन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल अपनी शारीरिक मौजूदगी से छूट मांगी थी, लेकिन बता दें कि उनकी इस याचिका को खारिज कर दिया गया है। उन्हें स्पष्ट कह दिया गया है कि अदालत में किसी भी कीमत पर पेश होना ही होगा। ध्यान रहे कि कोर्ट के इस फैसले को राहुल के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है।
Jharkhand | MP/MLA court in Ranchi rejects Congress leader Rahul Gandhi’s plea for exemption from personal appearance in ‘Modi Surname case’. A defamation case was filed against him by a person named Pradeep Modi in Ranchi.
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— ANI (@ANI) May 3, 2023
सदन रहे कि गत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की थी। उन्होंने यह टिप्पणी कर्नाटक के कोलार जिले में जनसभा को संबोधित करने के दौरान की थी। जिसमें उन्होंने सवालिया लहजे में कहा था कि आखिर सभी चोरों का नाम मोदी ही क्यों है? इस बीच उन्होंने नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे नामों का भी जिक्र किया था। उनकी इस टिप्पणी पर गुजरात के रहने वाले पुर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज करावया था। जिस पर बीते दिनों कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राहुल को दो साल की सजा की सुनाई थी। ध्यान रहे कि जन-प्रतिनिधित्व कानून के मुताबिक जब किसी राजनेता को किसी मामले में दो साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी संसद सदस्यता रद्द कर दी जाती है। कुछ ऐसा ही राहुल गांधी के साथ हुआ है।
हालांकि, अब उन्होंने निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट का रूख किया है, जहां अभी मामला विचाराधीन है, लेकिन उन्हें इस मामले में किसी भी प्रकार की राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। बता दें कि इससे पहले राहुल ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था, लेकिन कोर्ट ने यहकर उनकी याचिका खारिज कर दी थी कि पहले आपको हाईकोर्ट का रूख करना चाहिए। इसके बाद आपको हाईकोर्ट जाना चाहिए। ध्यान रहे कि ऐसे कई मामले प्रकाश में आ चुके हैं, जिसमें प्रतिवादियों ने सीधे सुप्रीम कोर्ट का रूख किया, तो उस पर आपत्ति जताते हुए पहले हाईकोर्ट जाने का सुझाव दिया।