
लखनऊ। कर्नाटक विधानसभा चुनाव और यूपी में निकाय चुनाव के नतीजों के साथ ही कई विधानसभा सीटों पर हुए उप चुनाव के नतीजे भी आज आ रहे हैं। इनमें से यूपी की स्वार सीट का उप चुनाव भी काफी अहम है। यहां सपा के कद्दावर नेता आजम खान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। स्वार सीट को आजम खान और उनके परिवार का गढ़ माना जाता है। स्वार सीट को बचाने की चुनौती आजम खान के सामने है। आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार सीट से विधायक चुने गए थे। उनकी विधायकी रद्द कर दी गई। इस वजह से स्वार सीट पर उप चुनाव कराया गया। स्वार सीट पर 6 उम्मीदवार हैं। सपा ने यहां से पेशे से वकील अनुराधा चौहान को टिकट दिया। अनुराधा को जिताने के लिए आजम खान को इस बार स्वार में सारा जोर लगाना पड़ा है।

स्वार सीट के उप चुनाव में बीजेपी और अपना दल (एस) ने शफीक अहमद अंसारी को मैदान में उतारा। शफीक अंसारी एक जमाने में आजम के करीबी थे। वो नगर पालिका अध्यक्ष रहे हैं। शफीक की पत्नी रेशमा परवीन अंसारी भी स्वार नगर पालिका की अध्यक्ष हैं। शफीक ने आजम से किनारा कर लिया और फिर उनके घोर विरोधी बीजेपी गठबंधन के पाले में चले गए। खास बात ये है कि स्वार सीट मुस्लिम बहुल है। यहां सपा ने पहली बार हिंदू उम्मीदवार उतारा है। अगर मुस्लिम वोट शफीक के पक्ष में गया, तो आजम को अपने गढ़ को बचाने में काफी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। आजम ने यहां कई जनसभाएं की थीं। उन जनसभाओं में वो शफीक के खिलाफ खूब बोले, लेकिन इसका कितना असर पड़ता है, वो आज आने वाले नतीजे से पता चलेगा।

आजम खान और उनके परिवार का स्वार सीट पर हमेशा दबदबा रहा है। आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार सीट से 2 बार विधायक रहे और दोनों बार आपराधिक मामलों में सजा की वजह से अब्दुल्ला की विधायकी गई। आजम ने जेल में रहते 2022 में अब्दुल्ला को स्वार सीट से सपा प्रत्याशी बनाया था। इसके साथ ही उन्होंने अपनी पत्नी तजीन फातिमा को भी स्वार सीट से बतौर डमी उम्मीदवार उतारा था। इससे साबित होता है कि आजम के लिए स्वार सीट कितनी अहम है। खास बात ये है कि रामपुर सीट पर भी आजम ही जीतते रहे हैं, लेकिन उनकी सदस्यता जाने के बाद बीजेपी ने जोर का झटका देते हुए उप चुनाव में रामपुर सीट हासिल कर ली थी।