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Asaduddin Owaisi: ओवैसी के पोस्टर पर बवाल, संभल को बताया गाजियों की धरती, मचा सियासी घमासान

Asaduddin Owaisi: संभल में होने जा रहे चुनावी जनसभा को प्रचारित करने के लिए कई जगर होर्डिंग और पोस्टर लगाए गए। इस होर्डिंग और पोस्टर में संभल को ‘गाजियों की धरती’ बताया गया है। गाजियों का मतलब होता है कि ‘इस्लाम के वीर योद्धाओं’ की धरती।

नई दिल्ली। किसी भी जनसभा से पहले उसे प्रचारित करने की फितरत हर किसी सियासी सूरमा की रहती है, लेकिन एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी को उनकी यह फितरत भारी पड़ गई है। बीजेपी ने जहां उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया तो वहीं सूबे का सियासी पारा भी बढ़ गया। दरअसल ,हुआ यूं था कि यूपी की 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की ऐलान कर चुके ओवैसी का आज यानी बुधवार को संभल जिले में चुनावी जनसभा होने जा रही है, जिसमें उनके कई हिमायतों के शामिल होने की कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन उनके कुछ हिमायतों ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

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दरअसल, संभल में होने जा रहे चुनावी जनसभा को प्रचारित करने के लिए कई जगह होर्डिंग और पोस्टर लगाए गए। इस पोस्टर में संभल को ‘गाजियों की धरती’ बताया दिया। गाजियों का मतलब होता है कि ‘इस्लाम के वीर योद्धाओं’ की धरती। अब इसी पोस्टर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। बीजेपी ने ओवैसी के इस पोस्टर पर कहा कि संभल जिला कभी-भी इस्लाम के वीरों की धरती नहीं रहा है, बल्कि पौराणिक दृष्टिकोण से संभल का खास महत्व है। बीजेपी के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष राजेश सिंघल ने कहा कि संभल कभी गाजियों की धरती नहीं रहा है। यह महज ओवैसी का चुनावी स्टंट है। हम ओवैसी के मंसूबों को बिल्कुल भी कामयाब नहीं होने देंगे। हिंदुस्तान का कोई भी शहर गाजियों की धरती नहीं है और न ही हम होने देंगे। राजेश सिंघल ने कहा कि पुराणों में संभल को कल्कि अवतार बताया गया है। उन्होंने तो यहां तक कहा कि अगर संभल को गाजियों की धरती बताया गया तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा।

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बहरहाल, इस पोस्टर से छिड़े विवाद के बाद ओवैसी की पार्टी ने इसे हटा दिया है। वहीं, ओवैसी की तरफ से इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन गाजियों की धरती वाले उनके इस पोस्टर ने प्रदेश के सियासी तापमान को बढ़ा दिया है। गौरतलब है कि ओवैसी प्रदेश के 100 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इसी कड़ी में प्रत्येक सीट पर अपनी जीत सुनिश्चित करवाने हेतु वे तमाम सियासी दांवपेच चल रहे हैं, लेकिन अब उनका यह दांवपेच आगामी विधानसभा चुनाव में उनके लिए कितना कारगर साबित होता है। यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। फिलहाल तो ओवैसी सूबे की जनता को रिझाने में मसरूफ हैं।