चीन रहा विवाद पैदा करने में व्यस्त, बीआरओ ने बना डाली Lukung को Khakted से जोड़ने वाली सड़क मस्त
चीन सीमा पर चल रहे तनाव के बीच बीआरओ ने लद्दाख में Lukung को Khakted से जोड़ने वाली सड़क का काम पूरा कर लिया है।
नई दिल्ली। चीन सीमा पर चल रहे तनाव के बीच बीआरओ ने लद्दाख में Lukung को Khakted से जोड़ने वाली सड़क का काम पूरा कर लिया है। 36 करोड़ की लागत से बनाई गई इस सड़क की लंबाई 36 किमी है जो Lukung को चार गांवों – Maan, Merak, Spangmik और Khakted से जोड़ती है।
वहीं खबर है कि बीआरओ ने पूर्वी लद्दाख में दुनिया की सबसे ऊंची सड़क का काम लगभग पूरा कर लिया है। ये रोड दुनिया के सबसे उंचे दर्रे, मरसिमक-ला से गुजरती है और पेंगोंग-त्सो झील से सटे लुकुंग और फोबरांग को एलएसी के हॉट-स्प्रिंग से जोड़ती है।
Amid of India-china
Faceoff in #EasternLadakh & Deadlock at #PangongTso Finger4/5.Road completed which was sanctioned under #PMGSY worth 36 crores length 36 kms.#Lukung to Khakted -it connect four villages, #Maan #Merak #Spangmik and #Khakted.@indiatvnews @DefenceMinIndia pic.twitter.com/YAUFxmsLJz— Manish Prasad (@manishindiatv) August 24, 2020
हॉट-स्प्रिंग एलएसी का वही विवादित इलाका है जहां इन दिनों भारत और चीन के सैनिकों के बीच टकराव चल रहा है। मरसिमक-ला रोड की कुल लंबाई 75 किलोमीटर है और ये करीब 18,953 फीट की ऊंचाई तक जाती है। सरकार ने वर्ष 2017 में डोकलम विवाद के तुरंत बाद बीआरओ को इस सड़क को बनाने की मंजूरी दी थी।
चीन सीमा तक जाने वाले रूट पर भारत ने एक और सड़क बनाई
भारत-चीन सीमा विवाद के बीच बीआरओ ने बड़ा कारनामा कर दिखाया है। दरअसल अब चीन सीमा को जोड़ने वाली लिपुलेख सड़क पर आवागमन में रुकावट डालने वाली एक बड़ी बाधा दूर हो गई है। उद्घाटन के महीने भर के भीतर ही बीआरओ ने बूंदी नाले पर वैली ब्रिज तैयार कर दिया है। इस वैली ब्रिज की लंबाई करीब 100 फीट है।
इस ब्रिज से पहले लोगों को ग्लेशियर से निकलने वाले नाले से निकलने पड़ता था। जिस वजह से लोगों की जान को हमेशा खतरा बना रहता था लेकिन लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बीआरओ ने एक महीने में इस ब्रिज को तैयार किया है। जिससे सीमा पर रहने वाले लोगों को काफी फायदा होगा।
दरअसल नाले पर ब्रिज इसलिए बनाया गया है क्योंकि दिन के साथ ही इस नाले में पानी भी बढ़ने लगता है। इसी के चलते दिन में ये नाला उफान पर आ जाता था। जिसके चलते लोगो को काफी परेशानी होती थी ब्याज घाटी में रहने वाले लोगों के साथ चीन-नेपाल पर तैनात जवानों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था लेकिन इस ब्रिज के बाद लोगों को काफी राहत मिली है। तो साथ ही चीन-नेपाल सीमा पर तैनात सेना, आईटीबीपी और एसएसबी का रास्ता भी आसान हो गया है।
इस पुल का निर्माण बीआरओ के कर्नल सोमेंद्र बनर्जी की अगुवाई में हुआ है। इस पुल की मदद से अब कैलाश-मानसरोवर यात्रा में भी श्रद्धालुओं को आसानी होगी। बता दें कि बीआरओ ने कड़ी मेहनत के साथ चीन सीमा के पास लिपुलेख दर्रे तक 74 किलोमीटर की सड़क बनाई थी। हालांकि सड़क का कुछ काम अभी भी बाकि है लेकिन इस सड़क के बनने के बाद अब भारत और चीन सीमा का रास्ता सीधा हो गया है। बीआरओ के अधिकारियों का दावा है कि महीने भर के भीतर मालपा का पुल भी तैयार हो जाएगा।