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Mahua Moitra: …तो राहुल गांधी से प्रेरित होकर महुआ ने रखा था राजनीति में कदम, किसी फिल्म स्क्रिप्ट से कम नहीं है उनका सियासी सफर

Mahua Moitra: बीते दिनों उन्होंने मां काली पर विवादित टिप्पणी की थी, जिसमें उन्होंने मां काली को शराब पीने और मांस खाने वाली बताया था, जिसका पूरे देश में विरोध किया गया था। इतना ही नहीं, कई जगहों पर महुआ के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी, लेकिन वो अपने बयान पर कायम रही थी।

नई दिल्ली। पता ही होगा कि आपको पैसे लेकर सवाल पूछने के आरोपों में घिरीं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित कर दिया गया है। 11 सदस्यीय एथिक्स कमेटी ने इस संदर्भ में बाकायदा जांच कर सदन के पेटल पर 50 पृष्ठों की रिपोर्ट पेश की, जिसके बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने महुआ की संसद सदस्यता रद्द किए जाने की सिफारिश की। वहीं, ओम बिरला ने इस विषय पर जांच के लिए आधे घंटे का समय दिया जिस पर लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आपत्ति जताते हुए ज्यादा समय देने की मांग की। फिलहाल, आधे घंटे की चर्चा के बाद महुआ की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई। बहरहाल, अब आगामी दिनों में वो क्या कुछ कदम उठाती हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन इस बीच लोगों में महुआ मोइत्रा के बारे में जानने की जिज्ञासा अपने चरम पर पहुंच चुकी है। बड़ी संख्या में लोग उनके बारे में जानना चाहते हैं कि आखिर उनका सियासी सफर का आगाज कब और कैसे हुआ ? , तो आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

…तो यहां से हुई थी सियासी सफर की शुरुआत

आपको बता दें कि महुआ मोइत्रा का जन्म असम के कछार जिले में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा कोलकाता में हुई थी, जिसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका का रुख किया। इसके बाद न्यूयॉर्क और लंदन में उन्होंने बतौर बैंकर अपने आर्थिक करियर की शुरुआत की। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आम आदमी का सिपाही नामक मुहिम छेड़ी थी, जिससे प्रेरित होकर महुआ ने सियासत में आने का फैसला किया। इसके बाद 2009 में महुआ ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें पश्चिम बंगाल की कमान सौंपी। कांग्रेस में रहते हुए उन्होंने सुब्रत मुखर्जी के साथ काम किया। जहां उन्हें राजनीति को व्यापक स्तर पर समझने में मदद मिली।

कांग्रेस के बाद थामा टीएमसी का दामन

उधर, कांग्रेस में करीब एक साल का वक्त गुजारने के बाद उन्होंने टीएमसी का दामन थाम लिया। इसके बाद बंगाल में 2011 में ममता बनर्जी के नेतृत्व में चुनाव हुए, लेकिन उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया, मगर उन्होंने किसी भी प्रकार की शिकायत ना करते हुए धैर्य रखा, जिसके बाद 2016 के चुनाव में पार्टी ने उन्हें करीमनगर विधानसभा से टिकट थमाया। यहां से जीत दर्ज कर वो विधायक बनीं।

2019 में बनी थीं पहली बार सांसद

इसके बाद 2019 में टीएमसी ने महुआ को कृष्णानगर सीट से लोकसभा चनाव का टिकट दिया, जिसके बाद उन्होंने यहां से जीत दर्ज की। अपने जोशीले भाषणों की वजह से महुआ बहुत जल्द ही सुर्खियों में आ गई, लेकिन बंगाली मीडिया के साथ उनके विवादास्पद रिश्ते होने की वजह से उन्हें सियासी मोर्चे पर बेशुमार दुश्वारियों से जूझना पड़ा।

mahua moitra

देवी काली पर दिया था विवादित बयान

बता दें कि एक दफा उन्होंने मां काली पर विवादित टिप्पणी भी की थी, जिसमें उन्होंने मां काली को शराब पीने और मांस खाने वाली बताया था, जिसका पूरे देश में विरोध किया गया था। इतना ही नहीं, कई जगहों पर महुआ के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी, लेकिन वो अपने बयान पर कायम रही।

कैश फॉर क्वेरी में आया नाम

वहीं, बीते दिनों गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखकर टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर व्यापारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। हालांकि, महुआ ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था और यह भी स्पष्ट कर दिया था कि वो आगामी दिनों में हर प्रकार के जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं।