newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Allahabad HC: झांसी स्टेशन का नाम रानी लक्ष्मीबाई करने के खिलाफ कोर्ट में डाली थी याचिका, कोर्ट ने झटका देते हुए बोलती कर दी बंद

Allahabad HC: ‘रानी लक्ष्मीबाई ने देश के स्वाधीनता संग्राम में उच्च बलिदान किया था। वह ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़ी रही थीं। लोगों को उस जगह को उनके नाम से जानना चाहिए। कई सारे स्टेशनों का नाम ऐसे महापुरुषों के नाम पर रखा गया है, जो कि कम ज्ञात हैं। रानी लक्ष्मीबाई को तो उनकी वीरता की वजह से पूरा विश्व जानता है।’

नई दिल्ली। पिछले साल दिसंबर में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने झांसी स्टेशन का नाम बदल कर वीरांगना लक्ष्मीबाई स्टेशन कर दिया था। इसके विरोध में यूपी सरकार के खिलाफ कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। उस याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा यह दलील दिया गया था कि इससे कई सारे पैसेंजर्स को भ्रम हो जा रहा है, अत: इसका नाम नहीं बदला जाना चाहिए था। लेकिन अब इसी मामले पर दायर याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा एक टिप्पणी की गई है। क्या कहा इलाहाबाद हाई कोर्ट ने, आइए जानते हैं..

allahabad

‘रानी लक्ष्मीबाई को तो पूरा विश्व जानता है,वह जगह उनके नाम से ही…’ –इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के नाम बदलने वाले फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, ‘रानी लक्ष्मीबाई ने देश के स्वाधीनता संग्राम में उच्च बलिदान किया था। वह ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़ी रही थीं। लोगों को उस जगह को उनके नाम से जानना चाहिए। कई सारे स्टेशनों का नाम ऐसे महापुरुषों के नाम पर रखा गया है, जो कि कम ज्ञात हैं। रानी लक्ष्मीबाई को तो उनकी वीरता की वजह से पूरा विश्व जानता है।’ यानी कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि यूपी सरकार ने नाम बदलने का जो फैसला लिया वह ठीक है, इस फैसले को बदलने के लिए याचिकाकर्ता की दलील काफी नहीं।

इससे पहले भी योगी सरकार बदल चुकी है कई जगहों के नाम

allahabad junction

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इससे पहले भी कई स्टेशनों के नाम बदले थें,जिसमें मुगलसराय को दीनदयाल उपाध्याय नगर, इलाहाबाद को प्रयागराज और फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या रखा गया था। इसके बाद झांसी जिले के रेलवे स्टेशन का भी नाम बदल दिया था। गृह मंत्रालय के तरफ से स्वीकृति और फिर सर्वेक्षण विभाग, रेलवे और डाक की तरफ से एनओसी (NoC) मिलने के बाद झांसी का नाम परिवर्तित करके वीरांगना लक्ष्मीबाई कर दिया गया था।